Share brokers will not be able to harm investors SEBI new order will increase trust in trading | चाहकर भी शेयर ब्रोकर निवेशकों का नहीं कर पाएंगे नुकसान, SEBI के इस आदेश से बढ़ेगी भरोसे की ट्रेडिंग
Share Brokers Fraud: शेयर बाजार में हर रोज नए निवेशक पैसा कमाने की चाहत से अपना डीमैट अकाउंट क्रिएट करते हैं और निवेश करना शुरू कर देते हैं। कई बार उन्हें किसी कारणवश नुकसान उठाना पड़ जाता है। किसी में तो वह शेयर ब्रोकर के जाल में फंसकर घाटा उठाने पर मजबूर हो जाते हैं। ऐसी समस्या के समाधान के लिए सेबी ने नया आदेश जारी किया है। बाजार नियामक सेबी आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के लिये राशि बैंक खाते में ब्लॉक करने की व्यवस्था अब शेयर बाजार में पहले से उपलब्ध शेयर की खरीद-बिक्री में भी लागू करेगा। इस पहल का उद्देश्य निवेशकों के पैसे को शेयर ब्रोकरों के दुरुपयोग से सुरक्षित रखना है। सेबी के निदेशक मंडल ने बुधवार को हुई बैठक में शेयर बाजार में उपलब्ध शेयरों की खरीद-बिक्री को लेकर निवेशकों के लिये खाते में ‘ब्लॉक’ राशि के साथ आवेदन (एप्लिकेशन सपोर्टेड बाई ब्लॉक्ड एमाउंट) की सुविधा शुरू करने का निर्णय किया।
निर्गम के लिये भुगतान का वैकल्पिक माध्यम
यह निर्गम के लिये भुगतान का वैकल्पिक माध्यम है। इसमें निर्गम के लिये आवेदन करने वाले निवेशका का पैसा उन्हीं के खाते में तबतक पड़ा रहता है, जबतक निर्गम के आवंटन के बारे में स्थिति साफ नहीं हो जाती। निर्गम आवंटन होने पर ही खाते से राशि कटती है। प्रस्तावित सुविधा निवेशकों के साथ-साथ शेयर ब्रोकरों के लिये वैकल्पिक होगी। इस कदम का उद्देश्य शेयर बाजार के परिवेश में दक्षता को बढ़ाना है। इसके जरिये मार्जिन और निपटान बाध्यताओं को पूरा करने की अनुमति होगी। इससे सदस्यों के लिये कम कार्यशील पूंजी की जरूरत पड़ेगी। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की प्रेस रिलीज के अनुसार, प्रस्तावित रूपरेखा के तहत, शेयर ब्रोकरों को या तो सीधे यूपीआई ग्राहकों के साथ ब्रोकरेज का निपटान करने की अनुमति होगी या ग्राहकों के यूपीआई ब्लॉक से ब्रोकरेज की मानक दर घटाने के लिये समाशोधन निगम की सुविधा का विकल्प चुनना होगा। बाजार में सुचारू रूप से बदलाव के लिये व्यवस्था को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। नई सुविधा के साथ ग्राहक बचत खाते में अपने ब्लॉक राशि पर तब तक ब्याज प्राप्त कर सकेंगे, जबतक कि राशि निकल नहीं जाती।
बैठक में इसपर लिया गया फैसला
सेबी ने बुधवार को वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) के रूप में 3,000 करोड़ रुपये की शुरुआती पूंजी के साथ कंपनी बॉन्ड बाजार विकास कोष गठित करने का फैसला किया। यह दबाव के समय में निवेश स्तर वाली कंपनियों के बॉन्ड की खरीद के लिये सुविधा प्रदाता के रूप में कार्य करेगा। इस कदम का मकसद कॉरपोरेट बॉड बाजार में प्रतिभागियों के बीच भरोसे के साथ बॉन्ड खरीद-बिक्री बाजार में नकदी को बढ़ाना है। सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने निदेशक मंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘प्रस्तावित कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार विकास कोष (सीडीएमडीएफ) का शुरुआती कोष 3,000 करोड़ रुपये होगा। इसका योगदान म्यूचुअल फंड करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि सरकार ने इस कोष के दस गुना उपयोग की अनुमति दी है। इस तरह उपलब्ध कोष का आकार बढ़कर 33,000 करोड़ रुपये हो जाएगा। कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार विकास कोष नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट कंपनी (एनसीजीटीसी) की तरफ से प्रदान की जाने वाली गारंटी के आधार पर बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान कॉरपोरेट ऋण प्रतिभूतियों की खरीद के लिए धन जुटा सकता है।