दोस्त जापान ने कह दी ऐसा बात, दुविधा में पड़ गया भारत, पीएम मोदी से मिले जापानी पीएम किशिदा फुमियो
india-Japan: जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फुमियो 2 दिन की यात्रा पर भारत आए हैं। इस दौरान किशिदा फुमियो ने अपने समकक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। किशिदा फुमियो ने नरेंद्र मोदी से मुलाकात में यह स्पष्ट किया कि भारत और जापान परंपरागत मित्र हैं। दोनों देशों के संबंध नई इबारत लिख रहे हैं। क्वाड से लेकर बुलेट ट्रेन के समझौते तक जापान हमेशा से भारत का साझेदार रहा है। इसकी पृष्ठभूमि पीएम मोदी और स्वर्गीय जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने ताकत के साथ रखी थी। हालांकि दोनों देशों के संबंध सुदृढ़ हैं, लेकिन फिर भी किशिदा फुमियो ने पीएम मोदी से सोमवार को हुई मुलाकात में एक ऐसी डिमांड रख दी , जिसके बाद भारत भी थोड़े पसोपेश में आ गया है।
दरअसल, इस नए प्लान पर भारत की प्रतिक्रिया कैसी होगी और इसका दोनों देशों के रिश्तों पर क्या असर पड़ेगा कोई नहीं जानता है। जापान वह देश है जो क्वाड में भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ शामिल है। भारत के साथ उसके रिश्ते काफी पुराने हैं और ऐसे में वह भारत को नाराज करने का रिस्क नहीं लेगा। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट की मानें तो ऐसे में किशिदा फुमियो की इच्छा है कि भारत यूक्रेन पर हमला करने के लिए रूस पर सख्त रूख अख्तियार करे। भारत के लिए दुविधा यह है कि जापान और रूस दोनों उसके अच्छे दोस्त हैं। जबकि किशिदा चाहते हैं कि भारत, जापान और रूस में से किसी एक को चुने। वैसे रूस भारत का परंपरागत साझेदार है और रूस भारत को बड़ी मात्रा में तेल और हथियार निर्यात करता है।
10 मार्च को किशिदा ने भारत दौरे का ऐलान करते हुए कहा था, ‘जी-7 और जी-20 देशों के नेताओं के तौर पर, मैं आपसी संपर्क मजबूत करने की कोशिशों को आगे बढ़ाना चाहता हूं।’ एक सीनियर जापानी अधिकारी के मुताबिक किशिदा, विकासशील देशों का नजरिया जानने के लिए भारत की स्थिति को समझना चाहते हैं। भारत इस बार जी-20 सम्मेलन का मेजबान है। इसके दो अहम सदस्य रूस और चीन ने उन कोशिशों का विरोध किया है जिसका मकसद यूक्रेन में जारी जंग की निंदा करना था।
रूस के खिलाफ जी-20 देश
जी-7 देशों के नेताओं की तरफ से हर बार यूक्रेन को समर्थन दिए जाने की बात कही गई है। जी-7 देश जी-20 के भी सदस्य हैं। ये देश उन तमाम उपायों पर चर्चा कर रहे हैं जिसके तहत रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को रूस से निर्यात होने वाले कच्चे तेल की एक कीमत तय करने के लिए मजबूर किया जा सके। भारत और जी-20 के दूसरे देश रूस से भारी मात्रा में कच्चा तेल खरीद रहे हैं।