Demonetization: कर संग्रह में बढ़ोतरी के पीछे नोटबंदी का फैसलाः RBI Demonetization: Demonetisation decision behind increase in tax collection: RBI


Demonetization: रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सदस्य आशिमा गोयल ने कर संग्रह में आई तेजी का श्रेय नोटबंदी को देते हुए कहा है कि यह देश में एक व्यापक आधार पर कम कर लगाने की आदर्श स्थिति की तरफ ले जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर, 2016 को 500 और 1,000 रुपये के तत्कालीन नोटों को चलन से बाहर करने का ऐलान करते हुए कहा था कि इस अप्रत्याशित कदम से काला धन पर लगाम लगाने के साथ ही डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिलेगा।
नोटबंदी सख्त कदम
एमपीसी की सदस्य आशिमा गोयल ने यह स्वीकार किया कि नोटबंदी के सख्त कदम की कुछ अल्पकालिक लागत चुकानी पड़ी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दीर्घावधि में इसके कुछ लाभ भी होंगे। डिजिटलीकरण की दर में वृद्धि, अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने और कर चोरी की घटनाओं में कमी जैसे लाभ प्रमुख हैं। कर विभाग ने गत नौ अक्टूबर को कहा था कि चालू वित्त वर्ष में कंपनियों एवं व्यक्तिगत आय पर कर का कुल संग्रह करीब 24 प्रतिशत बढ़कर 8.98 लाख करोड़ रुपये हो चुका है। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह लगातार सातवें महीने 1.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है। सितंबर में जीएसटी संग्रह एक साल पहले की तुलना में 26 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1.47 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
नकदी के इस्तेमाल में कमी का मकसद पूरा हो सकेगा
रिजर्व बैंक की तरफ से एक डिजिटल मुद्रा लाने की योजना के बारे में पूछे जाने पर गोयल ने कहा कि इससे नकदी के इस्तेमाल में कमी और मौजूदा भुगतान प्रणाली को अतिरिक्त समर्थन देने का मकसद पूरा हो सकेगा। उन्होंने कहा, “सीबीडीसी से डिजिटल युग में निश्चित रूप से नई जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा। यह मुद्रा सुदूर इलाकों तक पहुंच आसान बनाने के साथ ही वित्तीय समावेशन को भी गति देगी और उससे जुड़ी लागत में कमी आएगी।” रिजर्व बैंक ने हाल ही में कहा है कि वह अपनी डिजिटल मुद्रा को पायलट स्तर पर पेश करने की तैयारी में है।