पंजाब में इस साल सरकारी गेहूं खरीद में भारी गिरावट! निजी व्यापारी पड़ रहे भारी
चंडीगढ़. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर गेहूं की बढ़ती हुई मांग को लेकर निजी खिलाड़ियों ने इस साल अपने दांव बढ़ा दिए हैं. निजी खरीदार करीब-करीब सरकारी दाम के बराबर या ज्यादा गेहूं के दाम दे रहे हैं. इससे किसानों को मंडियों में अनाज को ले जाने का खर्च बच रहा है. निजी खरीदारों के इस बार पांच लाख टन गेहूं खरीदने की संभावना है. जिसके चलते पंजाब में सरकारी गेहूं की खरीद 15 साल में निचले स्तर पर आ सकती है. माना जा रहा है 2007 के बाद पहली बार गेहूं की निजी खरीद पांच लाख टन (एलटी) होगी. इसका एक बड़ा कारण तापमान में असामान्य वृद्धि भी है. जिससे गेहूं की पैदावार में कमी आई है और मांग बढ़ी है.
भारतीय खाद्य निगम सहित सरकारी एजेंसियों ने चालू रबी विपणन सीजन (अप्रैल-जून) में रविवार शाम तक 83.49 लाख टन गेहूं खरीदा था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में पंजाब मंडी बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि दैनिक बाजार की आवक धीमी हो गई है. जिसे देखते हुए सरकारी खरीद इस बार बहुत घट गई है. सरकारी गेहूं की खरीद में पंजाब केंद्रीय पूल में भी सबसे बड़ा योगदानकर्ता है. पंजाब ने 2021 के सीजन में 132.14 लाख टन का रिकॉर्ड बनाया था. 2006 और 2007 में जब गेहूं की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी होने से वैश्विक खाद्य संकट पैदा हुआ था तो पंजाब की मंडियों से निजी खरीद क्रमशः 13.12 लाख टन और 9.18 लाख टन थी. इस साल कुल निजी गेहूं की खरीद रविवार को 4.61 लाख टन थी. जबकि पिछले पूरे सीजन में यह केवल 1.14 लाख टन, 2020 में 1.93 लाख टन, 2019 में 2.80 लाख टन और 2018 में 2.06 लाख टन थी.
अधिकारियों का कहना है कि 2007 के बाद यह पहली बार होगा जब निजी खरीद का आंकड़ा अगले 3-4 दिनों में 5 लाख टन के पार हो जाएगा. कहा जाता है कि निजी व्यापारियों और आटा मिलों को सरकार द्वारा नियंत्रित एपीएमसी (कृषि उपज बाजार समिति) मंडियों के बाहर से अनाज की खरीद करनी पड़ती है. सीधे किसानों से की गई इस खरीदारी को आधिकारिक तौर पर रिकॉर्ड में नहीं दर्ज किया जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक पटियाला जिले की नाभा तहसील के गदया गांव के किसान कुलविंदर सिंह ने अभी तक सात एकड़ में से अपना 115 क्विंटल गेहूं का एक दाना नहीं बेचा है. 55 वर्षीय किसान ने पिछले साल अपनी पूरी 140 क्विंटल फसल में से 130 को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सरकारी एजेंसियों को बेच दिया था. जबकि बाकी को परिवार के उपयोग के लिए रखा था. वह कहते हैं कि ‘मैं इस बार सरकार या यहां तक कि निजी व्यापारियों को भी नहीं बेचूंगा. मुझे बाद में बेहतर कीमत मिलने की उम्मीद है.’
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इसी तरह स्वर्ण सिंह (43) ने बठिंडा जिले की नथाना तहसील के पूहली गांव में अपनी 6 एकड़ की जोत से 120 क्विंटल गेहूं की पैदावार की है. जो पिछले साल की तुलना में लगभग 34 क्विंटल कम है. वह पहले ही 88 क्विंटल एमएसपी पर सरकार को बेच चुके हैं. जबकि शेष 32 क्विंटल उन्होंने स्टॉक की हुई है. वह कहते हैं कि ‘कुछ व्यापारी मेरे आढ़ती (कमीशन एजेंट) के माध्यम से 2,100 रुपये / क्विंटल की पेशकश कर रहे हैं. मुझे कुछ और समय इंतजार करने में कोई समस्या नहीं है.’ वह भी गर्मी की शुरुआत से उपज के नुकसान की भरपाई के लिए ज्यादा कीमतों की उम्मीद कर रहे हैं. वर्ष 2021 में देश की कुल 433.44 लाख टन की सरकारी गेहूं की खरीद में से पंजाब में 132.14 लाख टन, मध्य प्रदेश में 128.16 लाख टन, हरियाणा में 84.93 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 56.41 लाख टन और राजस्थान में 23.40 लाख टन की खरीद की गई थी.
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