Russia Ukraine War Is the destruction in Ukraine part of Russias strategy or Vladimir Putin Ego। Russia Ukraine War। यूक्रेन में मच रही तबाही रूस की रणनीति का हिस्सा है या पुतिन का अहंकार?
Highlights
- यूक्रेन में तबाही मचा रहा रूस, बच्चों और महिलाओं को भी नहीं बख्शा
- नागरिकों पर बरसाईं जा रहीं गोलियां, अस्पताल तोड़े गए
- रूसी सैनिकों पर यूक्रेन की महिलाओं के साथ रेप करने के आरोप
मास्को: रूस और यूक्रेन का युद्ध शुरू हुए 48 दिन बीत गए हैं, लेकिन अभी तक दुनिया को ये उम्मीद नहीं मिल पाई है कि तबाही का ये खौफनाक मंजर थम जाएगा। ऐसे में ये सवाल भी उठने लगे हैं कि यूक्रेन में मच रही तबाही रूस की रणनीति का हिस्सा है, या फिर ये रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का अहंकार है।
दरअसल दो देशों के बीच जब युद्ध होता है तो उसमें हमलावर देश दुश्मन के सैन्य ठिकानों और वहां के सैनिकों को निशाना बनाता है, लेकिन यूक्रेन में तो एक अलग ही मंजर है। यहां रूस द्वारा युद्ध के सारे नियम-कायदों को तोड़ दिया गया है। यूक्रेन में आम नागरिकों की लाशों का अंबार लगा हुआ है और वहां से आ रही तस्वीरें दिल को दहला देने वाली हैं।
रूस के इस हमले में ना ही यूक्रेन के बच्चों को बख्शा गया और ना ही महिलाओं पर रहम की गई। कई जगहों से तो ये भी खबर आई कि रूसी सैनिकों ने यूक्रेन की महिलाओं के साथ रेप किया। कोई सोच भी नहीं सकता कि रूस अपनी रणनीति कुछ इस तरह बनाएगा, जो इतनी अमानवीय होगी।
यूक्रेन में मच रही तबाही को लेकर रूस की रणनीति क्या है?
रूस ने जब शुरुआत में यूक्रेन पर हमला किया था तो उसे लगा था कि वह आसानी से यूक्रेन पर प्रेशर बना लेगा। लेकिन जब रूस का जमीनी हकीकत से पाला पड़ा तो उसे समझ आ गया कि यूक्रेन के शहरों में जमीनी युद्ध से वह इस जंग को नहीं जीत पाएगा, क्योंकि जमीनी जंग में रूस को अपने कई सैनिकों की जान गंवानी पड़ी। यही वजह थी कि रूस ने यूक्रेन में हवाई हमले करने शुरू कर दिए।
वहीं युद्ध के 48 दिन बीतने के बावजूद रूस अभी तक यूक्रेन में अपना वर्चस्व कायम नहीं कर सका क्योंकि यूक्रेनी लड़ाकों ने शक्तिशाली रूस के सामने घुटने टेकने से मना कर दिया। इस बीच अमेरिका और अन्य देशों से मिली मदद की वजह से यूक्रेन का मनोबल बढ़ गया और वह युद्धभूमि पर दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हो गया।
हालांकि यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कई बार रूस से युद्ध खत्म करने की अपील की लेकिन ये बात भी साफ कर दी कि वह शांति स्थापित करने के लिए अपना इलाका नहीं छोड़ेंगे। इसके बाद तो रूस ने सारी हदें ही पार कर दीं और जो तबाही यूक्रेन में मचाई, उसे रणनीति का नाम तो नहीं दिया जा सकता। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि कोई भी हमलावर देश, दुश्मन देश की सेना के साथ युद्ध करता है, उसके नागरिकों के साथ नहीं।
पुतिन के अहंकार पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन पर जब पहली बार बमवारी की थी तो अमेरिका ने उसी समय ये कह दिया था कि ये इंटरनेशनल कानूनों का उल्लंघन है। अमेरिका उन कानूनों की बात कर रहा था, जो दूसरे विश्वयुद्ध के बाद लिखे गए थे। इसके बावजूद पुतिन पर कोई फर्क नहीं पड़ा और उनके इशारे पर यूक्रेन में तबाही जारी रही।
यूक्रेन के विभिन्न शहरों के मेयरों को बंधक बनाया गया। नागरिकों पर गोलियां बरसाईं गईं। यूक्रेनी नागरिकों के खाने-पीने के सामान को रोक दिया गया। अस्पताओं को तोड़ दिया गया। ये पुतिन का अहंकार नहीं तो और क्या है? जब सीधे-सीधे बातचीत की जा सकती है तो इस तरह शहरों और उसके नागरिकों को तबाह करने की क्या वजह है? रिपोर्ट्स तो यही दर्शाती हैं कि पुतिन चाहते हैं कि यूक्रेन के राष्ट्रपति इस तबाही से दवाब में आ जाएं और पुतिन के सामने घुटने टेक दें। लेकिन हालात ये हैं कि कई देशों की मध्यस्थता की कोशिशों के बावजूद दोनों देशों में से कोई भी झुकने को तैयार नहीं है।