जन्मदिनः इस शख्स ने बनाया था हमारा तिरंगा, गरीबी में हुई थी मौत
आज यानि 02 अगस्त को पिंगली वेंकैया का जन्मदिन है. वह 1876 में आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव में पैदा हुए थे. ये वो शख्स थे जिन्होंने हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को डिजाइन किया था. पिंगली युवावय में ब्रिटिश सेना में शामिल हो गए थे लेकिन गांधीजी से एक मुलाकात ने उनके जीवन को बदल दिया.
बापू से प्रभावित होकर छोड़ी थी ब्रिटिश सेना
पिंगली सिर्फ 19 साल की उम्र में पिंगली ब्रिटिश आर्मी में शामिल हो गए. लेकिन उन्हें तो देशसेवा में जाना था. दक्षिण अफ्रीका में पिंगली वेंकैया की मुलाकात महात्मा गांधी से हुई. वो बापू से इतने प्रभावित हुए कि उनके साथ हमेशा के लिए रहने वो भारत लौट आए. पिंगली ने स्वतंत्रता संग्राम में अपना अहम योगदान दिया.
पिंगली वेंकैया ने 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज की स्टडी कर बनाया था तिरंगा
पिंगली भाषा विशेषज्ञ और लेखक थे. 1913 में उन्होंने जापानी भाषा में लंबा भाषण पढ़ा था. इनकी इन्हीं खूबियों के वजह से उन्हें कई नाम मिले. मसलन- जापान वेंकैया, पट्टी (कॉटन) वेकैंया और झंडा वेंकैया.
30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज की स्टडी कर बनाया तिरंगा
उन्होंने 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज की स्टडी की. पिंगली वेंकैया 1916 से लेकर 1921 तक लगातार इस पर रिसर्च करते रहे. इसके बाद उन्होंने तिरंगे को डिजाइन किया. 1916 में उन्होंने भारतीय झंडे के डिजाइन को लेकर एक किताब भी लिखी.
उस वक्त तिरंगे में लाल रंग रखा गया, जो हिंदुओं के लिए था. हरा रंग मुस्लिम धर्म के प्रतीक के तौर पर रखा गया और सफेद बाकी धर्मों के प्रतीक के तौर पर. बीच में चरखे को जगह दी गई थी. 1921 में महात्मा गांधी ने कांग्रेस के विजयवाड़ा अधिवेशन में पिंगली वेंकैया के डिजाइन किए तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर मंजूरी दे दी.
पिंगली वेंकैया के सम्मान में जारी डाक टिकट
महात्मा गांधी ने यंग इंडिया में पिंगली वेंकैया के बारे में लिखा था कि ‘ पिंगली वेंकैया आंध्र प्रदेश के मचिलीपट्टनम नेशनल कॉलेज में काम करते हैं. उन्होंने कई देशों के झंडे का अध्ययन करके भारत के राष्ट्रीय झंडे के कई डिजाइन बनाकर दिए हैं. इसको लेकर उन्होंने एक किताब भी लिखी है. मैं उनके कड़ी मेहनत की प्रशंसा करता हूं.’
बेहद गरीबी में हुआ पिंगली वेंकैया का निधन
1931 में तिरंगे को अपनाने का प्रस्ताव पारित हुआ. इसमें कुछ संशोधन किया गया. लाल रंग की जगह केसरिया को स्थान दिया गया. 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा में इसे राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अपनाया गया. इसके कुछ समय बाद फिर संशोधन हुआ और चरखे की जगह अशोक चक्र को स्थान दिया गया. कहा जाता है कि चरखे को हटाने की वजह से महात्मा गांधी नाराज हो गए थे. अभी हमारे तिरंगे में केसरिया का मतलब – समृद्धि, सफेद मतलब – शांति और हरा मतलब प्रगति से है.
हमारा पुराना राष्ट्रीय ध्वज
देश को तिरंगा देने वाले पिंगली की मौत बेहद गरीबी में हुई. 1963 में पिंगली वेंकैया का निधन एक झोपड़ी में रहते हुए हो गई. उसके बाद पिंगली की याद तक को लोगों ने भुला दिया. 2009 में पहली बार पिंगली वेंकैया के नाम पर डाक टिकट जारी हुआ. उसके बाद लोगों को पता चला कि वो पिंगली ही थे, जिन्होंने हमें हमारा तिरंगा दिया. मौत के 46 साल बाद उन्हें देश ने सम्मान दिया था.
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