आखिर क्यों कोरोना के अन्य वेरिएंट से ज्यादा खतरनाक है डेल्टा, जानिए
डेल्टा वेरिएंट को लेकर हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक स्टडी भी प्रकाशित हुई है जिसमें कहा गया है कि देश में ब्रेकथ्रो इन्फेक्शन में डेल्टा वेरिएंट का सबसे बड़ा योगदान है. वैक्सीन की एक या दो डोज लगने के बाद भी लोगों के कोराना की चपेट में आने की वजह ज्यादातर डेल्टा वेरिएंट ही है.
ऐसे में यह जानना जरूरी है कि कोरोना का यह वेरिएंट बाकी अन्य वेरिएंट के मुकाबले इतना ज्यादा खतरनाक क्यों है. इस संबंध में आईसीएमआर में टास्क फोर्स ऑपरेशन ग्रुप फॉर कोविड के हेड डॉ. एन के अरोड़ा बताते हैं कि कोविड19 के बी.1.617.2 वेरिएंट को ही डेल्टा वेरिएंट के नाम से जाना जाता है. यह भारत में अक्टूबर 2020 में पहचाना गया था, और प्रारंभिक रूप से इस वेरिएंट को ही भारत में कोविड की दूसरी लहर का जिम्मेदार भी माना गया.
आज कोविड के अस्सी प्रतिशत से अधिक मामलों में यह वेरिएंट जिम्मेदार है. यह महाराष्ट्र से उभरा और मध्य और पूर्वी राज्यों में प्रवेश करने से पहले देश के पश्चिमी राज्यों के साथ उत्तर की ओर इसका प्रभाव बढ़ता गया.
खास बात है कि डेल्टा वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन होने की वजह से मानव शरीर की कोशिकाओं के रिसेप्टर एसीईटू के साथ आसानी से और सख्ती से चिपक जाते हैं, इसी वजह से यह अधिक संक्रामक हो जाते हैं और मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता से बच कर निकल जाते हैं.
डॉ. अरोड़ा कहते हैं कि डेल्टा वेरिएंट पूर्व में पहचान में आए अल्फा वेरिएंट के एवज में चालीस से साठ प्रतिशत तक अधिक संक्रामक हैं, और यह अब तक यूके, यूएसए, सिंगापुर सहित 80 से अधिक देशों में फैल चुका है.
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