हवाई और रेल यात्राओं से देशभर में फैला कोरोना, बेहतर संपर्क वाले शहरों को जोखिम ज्यादा
नई दिल्ली. भारत (India) में धीरे-धीरे कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर का असर कम हो रहा है. इसी बीच हाल ही में हुए एक शोध के बाद आशंका जताई जा रही है कि ट्रांसपोर्ट के तरीके और उनका लगातार इस्तेमाल देशभर में महामारी फैलाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है. दूसरी बार बढ़ते मामलों के बीच महाराष्ट्र (Maharashtra) सर्वाधिक प्रभावित राज्य था.
जानकारी हासिल करने के लिए पुणे स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER) के शोधकर्ताओं ने भारतीय शहरों का एक नक्शा तैयार किया था. इस नक्शे के जरिए संक्रमण से जूझ रहे शहर से वायरस फैलने के तरीके को समझा जा रहा था. पता लगा है कि दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, अहमदाबाद, लखनऊ, झांसी, पुणे और जयपुर खतरा फैलाने वाले शहरों में सबसे ऊपर थे.
वहीं, अमरेली, गंगटोक, शिमला, कन्नूर, तेजपुर, उस्मानाबाद, जोरहट और जूनागढ़ उन शहरों में शामिल थे, जहां वायरस फैलने के समय खतरा सबसे कम था. इस जानकारी को हासिल करने के लिए शोधकर्ताओं ने एक लाख से ज्यादा आबादी वाले 446 शहरों की स्टडी की. इसके नक्शे को बनाने के लिए रिसर्चर्स ने इन शहरों के बीच हवाई, रेल और सड़क यातायात का उपयोग किया. इसके बाद मार्च और जुलाई 2020 में मिले संक्रमण के मामलों से इसकी तुलना की गई.
यह भी पढ़ें: कोरोना मरीज़ों को लंबे समय तक स्टेरॉयड देने से खोखली हो जा रहीं हड्डियांIISER के फिजिक्स डिपार्मेंट में प्रोफेसर एमएस संतनाम ने कहा कि इस नक्शे से पता लगता है कि बीमारी देश के अन्य हिस्सों में फैलने में कितना समय लेगी. इस जानकारी के जरिए सरकारी एजेंसियां तैयारी कर सकती हैं और इसके हिसाब से यात्रा पर पाबंदियां लगा सकती हैं. उन्होंने संक्रमण को फैलाने में ट्रैन की भूमिका को बड़ा बताया है. प्रोफेसर ने कहा कि देशभर में वायरस को फैलने से रोकने के लिए रेलवे के काम को रोकने की जरूरत है.
IISER के वैज्ञानिकों ने कहा है कि शहरों में जोखिम का पता करने मे भौगोलिक दूरी के बजाए बार-बार यात्रा की जानकारी अच्छी भूमिका निभाती है. उन्होंने उदाहरण दिया- भले ही महाराष्ट्र में उस्मानाबाद और मुंबई के बीच की दूरी कम हो, लेकिन मुंबई में मामले बढ़ने के बाद बेहतर हवाई और रेल व्यवस्था होने के चलते बीमारी उस्मानाबाद से पहले दिल्ली या कोलकाता पहुंची.
यह अनुमान लगाया गया है कि जिन शहरों में यात्रा ज्यादा की जाती है, वहां एक से तीन दिनों में वायरस पहुंच सकता है. जबकि, जो शहर अन्य जगहों से बेहतर संपर्क में नहीं है, वहां वायरस को पहुंचने में 15 दिन तक लग सकते हैं. शोधकर्ता कहते हैं कि देश में ट्रांसपोर्ट व्यवस्था को पूरी तरह बंद करने से बेहतर है कि शहरों के जोखिम की समय-समय पर जांच की जाए और समय पर सही उपाय किए जाएं.