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more affinity for lung tissues: 10 things we know about Delta Plus | फेफड़ों के लिए घातक साबित होगा कोरोना का डेल्टा प्लस वैरिएंट

कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट के देश में कुल 50 मामले फिलहाल मौजूद हैं.

कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट के देश में कुल 50 मामले फिलहाल मौजूद हैं. नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के निदेशक डॉ. एसके सिंह ने कहा कि इन 8 राज्यों में ही 50 फीसदी से ज्यादा केस मिले हैं.

नई दिल्ली. कोरोना वायरस के अन्य स्वरूपों की तुलना में ‘डेल्टा प्लस’ स्वरूप का फेफड़ों के उत्तकों से ज्यादा जुड़ाव मिला है लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि इससे गंभीर बीमारी होगी या यह ज्यादा संक्रामक है. टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह के कोविड-19 कार्य समूह (एनटीएजीआई) के प्रमुख डॉ एन के अरोड़ा ने कहा कि कोरोना वायरस के नए स्वरूप डेल्टा प्लस की 11 जून को पहचान हुई. हाल में इसे ‘चिंताजनक स्वरूप’ के तौर पर वर्गीकरण किया गया. देश के 12 राज्यों में डेल्टा प्लस के अब तक 51 मामले आ चुके हैं. इस स्वरूप से संक्रमण के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र से आए हैं.

कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट के देश में कुल 50 मामले फिलहाल मौजूद हैं. नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के निदेशक डॉ. एसके सिंह ने कहा कि इन 8 राज्यों में ही 50 फीसदी से ज्यादा केस मिले हैं. हालांकि कोरोना का डेल्टा वैरिएंट कितना खतरनाक है इस पर लगातार रिसर्च जारी है. आइए जानते हैं कोरोना के इस वैरिएंट की अहम बातें…

‘डेल्टा प्लस’ स्वरूप के बारे में एनटीएजीआई के कोविड-19 कार्य समूह के प्रमुख ने कहा कि अन्य स्वरूपों की तुलना में फेफड़ों से इसका ज्यादा जुड़ाव है लेकिन स्पष्ट किया कि इसका यह मतलब नहीं है कि डेल्टा प्लस गंभीर बीमारी का कारक होगा या यह ज्यादा संक्रामक है.

डेल्टा प्लस कोरोना वायरस श्लैष्मिक कोशिकाएं (Mucosal Cells) पर ज्यादा आकर्षित होता है, लेकिन ये फेफड़ों को कितना नुकसान पहुंचाएगा, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। इसके अलावा डेल्टा प्लस से पॉजिटिव होने का ये मतलब नहीं है कि मरीज गंभीर अवस्था में पहुंच जाएगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन का एक डोज लेने वालों में कोरोना का ये वैरिएंट हल्का होता है. यहां तक ​​कि टीकाकरण की एक खुराक ने भी संस्करण को कम गंभीर बना दिया है.

आईसीएमआर के डीजी बलराम भार्गव ने कहा डेल्टा प्लस से पहले मिले अल्फा बीटा, गामा और डेल्टा जैसे वैरिएंट पर कोविशील्ड और कोवैक्सिन कारगर रही हैं. उन्होंने कहा कि हमारी ओर से फिलहाल इसका परीक्षण जारी है कि कोरोना की वैक्सीन इस वैरिएंट पर कितना असर करती हैं. हमें लैबोरेट्री के नतीजों का इंतजार है। इसके रिजल्ट 7 से 10 दिन में आ जाएंगे. इसके अलावा कोरोना वैक्सीन को लेकर आईसीएमआर के डीजी ने एक और भ्रम दूर किया है.

पहले कहा गया था कि डेल्टा प्लस मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल थेरेपी का विरोध करता है, जिसमें एंटीबॉडी कृत्रिम रूप से शरीर में निर्मित होती है. विशेषज्ञों ने कहा है कि यह विशेषता इस बात की पुष्टि नहीं करती है कि वैरिएंट टीकों द्वारा उत्पादित एंटीबॉडी का भी विरोध करेगा.

अब तो जो मामले सामने आए है उसमें कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के लक्षणों में बुखार, सूखी खांसी और थकान महसूस होना, सीने में दर्द होना, सांस फूलना और सांस लेने में तकलीफ होना, इसके अलावा स्किन पर चकत्ते पड़ना पैर की उंगलियों का रंग बदलना शामिल है.

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