हवा के जरिए कोरोना वायरस का प्रसार अनुमान से कहीं अधिक दूरी तक हो सकता है: अध्ययन । spread of coronavirus through the air can be much longer than anticipated: Study
वाशिंगटन: छींकने या खांसने से संक्रमित व्यक्तियों के मुंह से निकली अति सूक्ष्म बूंदों में कोरोना वायरस की उपस्थिति अनुमान से ज्यादा समय तक बनी रह सकती है और ये कण हवा में ज्यादा दूरी तय कर सकते हैं। प्रयोगशाला में किए गए एक अध्ययन से यह बात सामने आयी है। शोध पत्रिका ‘इंटरनेशनल कम्युनिकेशन इन हीट एंड मास ट्रांसफर’ में प्रकाशित अध्ययन में छोटी बूंदों में कोरोना वायरस की मौजूदगी के संबंध में अध्ययन किया गया।
अमेरिकी ऊर्जा विभाग की पैसिफिक नॉर्थवेस्ट नेशनल लेबोरेटरी (पीएनएनएल) के शोधकर्ताओं ने पाया है कि म्यूकस (बलगम) के जरिए वायरस काफी आगे तक पहुंचा सकता है। परंपरागत समझ यह रही है कि श्वसन तंत्र से उत्पन्न होने वाली ज्यादातर छोटी बूंदें हवा में तुरंत सूख जाती हैं और कोई नुकसान नहीं होता है। हालांकि, पीएनएनएल की टीम ने पाया है कि श्वसन की बूंदों को घेरने वाले बलगम के खोल से वाष्पीकरण की दर कम होने की संभावना है। इससे बूंदों के भीतर के वायरल कण ज्यादा समय तक नम रहते हैं।
शोधकर्ताओं की टीम का अनुमान है कि बलगम के आवरण में बूंदें 30 मिनट तक नम रह सकती हैं और लगभग 200 फीट तक की यात्रा कर सकती हैं। अध्ययन से जुड़े लेखक लियोनार्ड पीज ने कहा, ‘‘किसी संक्रमित व्यक्ति की तरफ से हवा के झोंकें से या संक्रमित व्यक्ति के कमरे से बाहर निकलने के कई मिनट बाद भी उस कमरे में लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की खबरें आ रही हैं।’’