US State Department spokesman Ned Price to step down Indian origin Vedant Patel get responsibility अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस छोड़ेंगे पद, भारतीय मूल के वेदांत पटेल को जिम्मेदारी
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस इस महीने अपना पद छोड़ देंगे और भारतीय-अमेरिकी वेदांत पटेल अंतरिम प्रवक्ता होंगे। पटेल अभी उप-प्रवक्ता हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने मंगलवार को ऐलान किया कि नेड प्राइस इस महीने यह पद छोड़ देंगे। इसके साथ ही उन्होंने प्राइस को विदेश विभाग की दैनिक प्रेस ब्रीफिंग फिर शुरू करने का श्रेय दिया जो पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अनियमित हो गई थीं।
हर किसी से सम्मानजनक तरीके से व्यवहार किया: ब्लिंकन
ब्लिंकन ने एक बयान कहा कि कार्यभार संभालने के बाद प्राइस ने 200 से अधिक ब्रीफिंग की और इस दौरान उन्होंने संवाददाताओं के साथ ही अपने सहकर्मियों और हर किसी के साथ सम्मानजनक तरीके से व्यवहार किया। अभी प्राइस के उत्तराधिकारी के नाम की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन वेदांत पटेल अंतरिम प्रवक्ता होंगे।
‘प्राइस अक्सर अमेरिकी विदेश नीति का चेहरा और आवाज रहें’
ब्लिंकन ने कहा, “अमेरिका और दुनिया भर के लोगों के लिए प्राइस अक्सर अमेरिकी विदेश नीति का चेहरा और आवाज रहे हैं। उन्होंने पेशेवर तरीके से एवं ईमानदारी के साथ अपनी जिम्मेदारी को निभाया। मैं नेड प्राइस को उनकी उल्लेखनीय सेवा के लिए धन्यवाद देता हूं।” प्राइस इससे पहले ओबामा प्रशासन के दौरान केंद्रीय खुफिया एजेंसी सीआईए और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के लिए काम कर चुके हैं और उन्होंने ट्रंप प्रशासन के शुरू होने के बाद इस्तीफा दे दिया था।
प्राइस ने दुनिया भर में प्रेस की आजादी की रक्षा की: ब्लिंकन
ब्लिंकन ने कहा कि प्राइस ने दुनिया भर में प्रेस की आजादी की रक्षा करने और उसे बढ़ावा देने में अमेरिकी सरकार की मदद की। उन्होंने कहा कि प्राइस के योगदान से उनकी सेवा के लंबे समय बाद भी विभाग को लाभ मिलेगा। विदेश विभाग कवर करने वाले संवाददाताओं के संघ के अध्यक्ष शॉन टंडन ने एक बयान में कहा कि प्रेस कोर अमेरिकी कूटनीति के अहम स्तंभों में से एक- दैनिक प्रेस ब्रीफिंग बहाल करने के लिए प्राइस को सलाम करता है।
उन्होंने कहा कि अपनी नियुक्ति के बाद से ही नेड प्राइस ने स्पष्ट किया कि नियमित, ठोस और संपूर्ण ब्रीफिंग प्राथमिकता है और वह अपने शब्दों पर खरे उतरे। टंडन ने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी सहित विभिन्न विषयों को लेकर जब उन्हें पता था कि उन्हें तीखे सवालों का सामना करना पड़ेगा, तब भी वह अपने शब्दों पर खरे रहे।
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