यूक्रेन से और भीषण होने वाली है जंग! रूस ने जीत के लिए नए सैन्य कमांडर को दी जिम्मेदारी-russia ukraine war is going to be more fierce Russia gave responsibility to the new military commander
रूस और यूक्रेन में जंग जारी है। हमलों का दौर अभी खत्म नहीं हुआ है। इसी बीच इन दोनों देशों के बीच जंग और भीषण हो सकती है। क्योंकि रूस ने अपना सैन्य कमांडर बदल दिया है। जंग में जीत हासिल करने के लिए रूस ने यूक्रेन से युद्ध के लिए नए कमांडर को सर्गेई सुरोविकिन की जगह जिम्मेदारी दी है। सिरोविकिन पिछले तीन महीने से जंग की कमांड अपने हाथ में संभाले हुए थे। लेकिन अब उनका डिमोशन दिया गया है। रूसी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि सैन्य बल की शाखाओं में बेहतर तालमेल के लिए यह फेरबदल किया गया है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण की नए सिरे से प्लानिंग करने और नई ताकत के साथ आक्रमण करने के लिए नया कमांडर नियुक्त कर दिया है। रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू ने जनरल स्टाफ के प्रमुख वालेरी गेरासिमोव को यूक्रेन में अपने विशेष सैन्य अभियान के लिए ओवरऑल कमांडर नियुक्त किया है। इस बीच, यूक्रेन में एक ऊर्जा संयंत्र के कर्मियों ने रूसी हमलों से बचे ट्रांसफार्मरों के आसपास कांक्रीट के सुरक्षा कवच बना दिए हैं, ताकि मिसाइल हमलों से उनकी रक्षा की जा सके।
जंग और खतरनाक होने के पीछे ये कारण बता रहे रूसी एक्सपर्ट
दरअसल, एक रूसी विशेषज्ञ ने मीडिया से चर्चा में बताया कि यूक्रेन जंग अब और भी खतरनाक होगी।, क्योंकि खुद चीफ ऑफ स्टाफ का आना अहम है। उधर, रूस के वैगनर ग्रुप द्वारा पूर्वी यूक्रेन में नमक खनन वाले शहर सोलेदार पर उसका कब्जा होने का दावा करने के बाद यहां पर जंग और भी भीषण हो गई है। यूक्रेनी सैनिक पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। जबकि रूसी कमांडरों का मुख्य लक्ष्य सोलेदार के बाद बखमुत और पूर्वी दोनबास क्षेत्र पर कब्जा करने का है। यूक्रेनी सैन्य जनरल स्टाफ का कहना है कि सोलेदार में रूसी सेना को भारी नुकसान हो रहा है।
पुराने सैन्य कमांडर को हटाने की क्या है वजह?
सैन्य विश्लेषक रॉब ली के मुताबिक रूस के सैन्य कमांडर सुरोविकिन को यूक्रेनी मोर्चे से इसलिए नहीं हटाया गया है कि वो यूक्रेन युद्ध में जीत नहीं पा रहे थे। बल्कि इसके पीछे राजनीतिक वजह हैं। युद्ध का कमांडर बनने के बाद से सुरोविकिन काफी ताकतवर हो गए थे, वो रक्षा मंत्री सर्गेई शोईगू और रूस के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ की बजाए सीधे पुतिन से संपर्क बढ़ाने लगे थे। यह बात रक्षा मंत्रालय को नागवार गुजरी।