Indian fighter aircraft will thunder in the sky of Japan, this war-practice made China sleepless जापान के आसमान में गरजेंगे भारतीय लड़ाकू विमान, इस वॉर-प्रैक्टिस ने उड़ाई चीन की नींद
चीन दुनिया के कई देशों के लिए चुनौती बन गया है। इन कई देशों में भारत और जापान भी शामिल हैं। जहां एक ओर चीनी सेना भारत में घुसपैठ की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर जापान भी चीन की आक्रामकता से परेशान है। चीन दोनों देशों का साझा दुश्मन है। अब इन दोनों देशों ने तय किया है कि मिलकर चीन को मुंहतोड़ जवाब देंगे। इसे ध्यान में रखते हुए भारत और जापान की वायु सेनाएं संयुक्त अभ्यास में हिस्सा लेंगी। यह पहली बार होगा जब भारत और जापान की सेनाएं इस तरह के मिलिट्री ड्रिल में शामिल होंगी।
6 से 26 जनवरी तक चलेगी वॉर-प्रैक्टिस
जापान एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स (JASDF) और भारतीय वायु सेना, (IAF) एक द्विपक्षीय युद्ध अभ्यास में शामिल होने जा रहे हैं। ‘वीर गार्जियन’ नाम का यह अभ्यास 16 से 26 जनवरी तक जापान के हयाकुरी और इरुमा एयरबेस पर आयोजित किया जाएगा। सूत्रों की माने तो इस युद्धाभ्यास का मकसद चीन को यह संदेश देना है कि अगर उसने अपनी सीमा लांघी तो जापान प्रशांत क्षेत्र से भारत को हवाई सहायता दे सकता है। साथ ही अगर जापान को जरूरत पड़ी तो भारत उसे हिंद महासागर की तरफ से मदद सकता है।
इस अभ्यास के पीछे क्या है मकसद?
इस अभ्यास में भारत की तरफ से सुखोई के अलावा दो C-17 हिस्सा लेंगे। जबकि जापान की तरफ से चार एफ-2 और चार एफ-15 फाइटर जेट शामिल होंगे। हयाकुरी वायु सेना बेस इबाराकी प्रान्त, जापान में है। जापानी सैन्य अधिकारियों के मुताबिक, इस अभ्यास का मकसद दोनों देशों के बीच आपसी समझ को आगे बढ़ाना और रक्षा सहयोग को मजबूत करना है।
पिछले साल बनी थी योजना
भारत और जापान ने सितंबर 2022 में हुई 2+2 वार्ता के दौरान इस अभ्यास की योजना बनाई थी। इन्हीं वार्ताओं के दौरान यह निर्णय लिया गया था कि भारत जापान को काउंटर-स्ट्राइक मिसाइल हासिल करने में मदद करेगा। जापानी सेना भारत के साथ सुरक्षा और रक्षा सहयोग बढ़ाने के मकसद से इसे हासिल करने की कोशिश कर रही है।
चीन को सीधा संदेश
सूत्रों का कहना है कि वीर गार्जियन अभ्यास चीन को सीधा संदेश होगा। इसके साथ ही दोनों देश क्वाड की मजबूती को लेकर भी चीन को बड़ा संदेश देने जा रहे हैं। क्वाड में भारत और जापान के अलावा अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं। रक्षा विशेषज्ञों की माने तो यह कवायद निश्चित रूप से चीन को निराश करने वाली है। भारत की तरह जापान भी मानता है कि चीन उसकी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है।