What is green hydrogen and why government is spending so much money | क्या है हरित हाइड्रोजन? जिसके लिए सरकार कर रही है इतना अधिक खर्चा
सरकार ने बुधवार को 19,744 करोड़ रुपये के खर्च के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी। इस पहल का मकसद कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के साथ देश को ऊर्जा के स्वच्छ स्रोत के उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाना है।
आठ लाख करोड़ रुपये का निवेश
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी है। इससे हरित हाइड्रोजन से जुड़े क्षेत्रों में आठ लाख करोड़ रुपये का निवेश आने की उम्मीद है। देश में अगले पांच साल में सालाना 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य है। प्रोत्साहन मिलने से इसकी लागत को कम करने में मदद मिलेगी।
क्या है हरित हाइड्रोजन?
हरित हाइड्रोजन का उपयोग ईंधन के रूप में वाहनों और तेल रिफाइनरी तथा इस्पात संयंत्र जैसे उद्योगों में ऊर्जा स्रोत के रूप में होता है। इसका उत्पादन इलेक्ट्रोलाइसिस प्रक्रिया के जरिये पानी को ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में विभाजित कर किया जाता है।
मिशन के लिये शुरुआती खर्च 19,744 करोड़ रुपये है। इसमें हरित हाइड्रोजन की तरफ बदलाव को रणनीतिक हस्तक्षेप (साइट) कार्यक्रम के लिये 17,490 करोड़ रुपये, पायलट परियोजनाओं के लिये 1,466 करोड़ रुपये, अनुसंधान एवं विकास के लिये 400 करोड़ रुपये तथा मिशन से जुड़े अन्य कार्यों के लिये 388 करोड़ रुपये निर्धारित किये गये हैं।
छह लाख से अधिक पैदा होंगी नई नौकरियां
इसमें आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश आने और 2030 तक छह लाख से अधिक नौकरियों के सृजन की उम्मीद है। साथ ही इससे जीवाश्म ईंधन (कच्चा तेल, कोयला आदि) के आयात में एक लाख करोड़ रुपये तक की कमी आने का अनुमान है। इसके अलावा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में पांच करोड़ टन की कमी आएगी।