सतलुज-यमुना लिंक का मसला फिर अटका, हरियाणा-पंजाब के CM के बीच नहीं बनी सहमति, जानें क्या कहा
नई दिल्ली. पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से बुधवार को सतलुज-यमुना संपर्क नहर (एसवाईएल) पर चर्चा के लिए बैठक की, लेकिन यह बेनतीजा रही क्योंकि दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री अपने-अपने रुख पर अड़े रहे. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि उनके राज्य के पास एक बूंद पानी भी साझा करने के लिए नहीं है, जबकि हरियाणा के उनके समकक्ष मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि नहर का पूरा निर्माण और उसके जरिए पानी प्राप्त करना उनके राज्य का अधिकार है.
मुख्यमंत्री खट्टर ने यह भी कहा कि हरियाणा सुप्रीम कोर्ट को सूचित करेगा कि पंजाब मामले में उसके आदेश का अनुपालन नहीं कर रहा है. सीएम खट्टर ने कहा, ‘नहर के निर्माण पर चर्चा करने के बजाय पंजाब के मुख्यमंत्री लगातार कह रहे हैं कि साझा करने के लिए पानी नहीं है.’
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था अहम निर्देश
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में निर्देश दिया था कि दोनों राज्य के मुख्यमंत्री बैठक कर एसवाईएल निर्माण के सौहार्द्रपूर्ण समाधान के लिए काम करें. सूत्र ने बताया कि बुधवार की बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री शेखावत ने दोनों मुख्यमंत्रियों से समाधान के साथ आने को कहा, लेकिन सीएम मान ने कहा कि पंजाब के 150 ब्लॉक में से 78 प्रतिशत में भूजल स्तर नीचे चले जाने की वजह से जल की भारी कमी है और इसलिए पंजाब किसी भी राज्य से पानी साझा नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि ‘एसवाईएल (सतलुज-यमुना लिंक) पर नहीं बल्कि हरियाणा को वाईएसएल (यमुना सतलुज लिंक) पर बात करनी चाहिए.’
गौरतलब है कि एसवाईएल नहर को लेकर दशकों से पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद है. इस मुद्दे पर दोनों मुख्यमंत्रियों की सहमति नहीं बनने पर शेखावत ने यह बैठक बुलाई थी. पंजाब का कहना है कि रावी और ब्यास नदियों के जल में उल्लेखनीय कमी आई है और इसलिए उसके स्तर को कम किया जाना चाहिए. सूत्र ने बताया कि दोनों पक्षों ने अपना-अपना तर्क रखा और जल शक्ति मंत्री ने उनसे इस मुद्दे पर आपसी समाधान के साथ आने को कहा.
गौरतलब है कि एसवाईएल की परिकल्पना रावी और ब्यास नदियों के प्रभावी जल आवंटन के लिए की गई थी. इस परियोजना में 214 किलोमीटर लंबी नहर बननी है जिनमें से 122 किलोमीटर पंजाब के हिस्सें है और 92 किलोमीटर हरियाणा में है. हरियाणा अपने हिस्से का काम पूरा कर चुका है. पंजाब ने नहर निर्माण की शुरुआत साल 1982 में की, लेकिन बाद में काम रोक दिया.
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FIRST PUBLISHED : January 04, 2023, 21:48 IST