चीन में कंट्रोल से बाहर हुआ कोरोना वायरस, कम पड़े ICU बेड-China coronavirus is out of control situation worsened after relaxation in zero covid policy spike in cases
चीन में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके पीछे का कारण जीरो कोविड नीति में दी गई ढील को भी माना जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन के स्वस्थ्य अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि राजधानी बीजिंग में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं। क्योंकि प्रशासन ने कुछ दिन पहले ही कोरोना प्रतिबंधों में ढील देना शुरू कर दिया था। एक मीडिया रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि कुछ समय पहले अकेले बीजिंग में ही करीब 22 हजार मरीजों ने अस्पतालों में अपनी जांच करवाई थी। ठीक उसी समय, एक हफ्ते पहले तक ये आंकड़ा 16 गुना कम था।
बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंच रहे लोग
शहर के हेल्थ कमीशन के प्रवक्ता ली आंग ने सोमवार को एक ब्रीफिंग में बताया, “बीजिंग में महामारी के तेजी से प्रसार की मौजूदा प्रवृत्ति अभी भी जारी है। बुखार और फ्लू जैसे मामलों में क्लीनिक जाने वाले लोगों की संख्या में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि हुई है। और इमरजेंसी कॉल्स की संख्या में भी बड़ा इजाफा हुआ है।” मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन में सोमवार को घरेलू स्तर पर कोरोना वायरस के 8622 मामले सामने आए हैं। हालांकि टेस्टिंग कम होने के कारण ये संख्या काफी अधिक मानी जा रही है। यहां एक जरूरी बात ये है कि जीरो कोविड नीति में राहत के बाद कम लक्षण वाले लोग घर पर ही इलाज ले सकते हैं।
काफी घातक है ओमीक्रॉन का म्यूटेशन
स्वास्थ्य सलाहकार झोंग ने चीन की सरकार को कोरोना वायरस को लेकर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है, “वर्तमान में ओमीक्रॉन का म्यूटेशन काफी संक्रामक है। एक शख्स 22 लोगों को संक्रमित कर सकता है।” चीन के इस वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने आगे कहा, “चीन में अभी महामारी तेजी से फैल रही है और ऐसे में रोकथाम और नियंत्रण कितना भी मजबूत क्यों न हो, संक्रमण की चेन को पूरी तरह से तोड़ा मुश्किल होगा।”
देश में आईसीयू बेड की कमी हुई
नेशनल हेल्थ कमीशन में चिकित्सा मामलों का विभाग के निदेशक शियाओ याहुई ने कहा कि देश में 10,000 लोगों पर केवल एक इन्टेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू बेड) है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के बढ़ते मरीजों का इलाज करने के लिए 1,06,000 डॉक्टरों और 1,77,700 नर्सों को आईसीयू में भेजा गया है। हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि अन्य बीमारियों के इलाज के लिए इसका देश की स्वास्थ्य प्रणाली की क्षमता पर क्या असर पड़ रहा है।