अब इन स्पेशल घरों में रहेंगी बकरियां, बाढ़ और तूफान का भी नहीं होगा असर, पढ़ें
नई दिल्ली. देश के कुछ हिस्सों में आने वाली बाढ़ हर साल ही मवेशियों और खासतौर पर बकरियों के लिए बड़ा काल साबित होती है. बाढ़ के पानी में बकरियों के बह जाने के कारण इनसे अपनी रोजी-रोटी का इंतजाम करने वालों को हर साल ही बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ता है. हालांकि बकरियों के लिए एक नई पहल के तौर पर अब बाढ़ के तेज बहाव में इन्हें बहने से बचाने के अलावा आने वाले चक्रवाती तूफानों में भी बकरियों को सुरक्षित करने के लिए देश के 3 राज्यों में स्पेशल घर या शेड बनाए जा रहे हैं जो बाढ़ आने के दौरान बकरियों को पूरी तरह सुरक्षित रखेंगे.
देश में तीन बाढ़ प्रभावित राज्यों बिहार, ओडिसा और आंध्र प्रदेश में पहली बार ये स्पेशल गोट शेड बनाने की शुरुआत की गई है. आर्थिक रूप से कमजोर आय वर्ग वाले लोगों की आजीविका को बढ़ाने के लिए पॉल्ट्री, बकरी पालन और कृषि पर काम करने वाला एनजीओ हेफर यह काम स्थानीय महिलाओं की मदद से कर रहा है. खास बात है कि इसमें राज्य सरकारें और बैंक भी सहयोग कर रही हैं. हेफर की ओर से पहली बार बिहार सस्टेनेबल लाइवलीहुड डेवलपमेंट परियोजना के तहत 6 जिलों के करीब 70 हजार लोगों के साथ मिलकर बकरियों के लिए शेड बनाने का काम किया जा रहा है.
क्या है गोट शेड?
हेफर और आपदा प्रबंधन करने वाली स्थानीय सहयोगी सीड्स मिलकर ये बकरियों के लिए शेड बना रहे हैं. गोट शेड बकरियों के लिए बनाए जा रहे झोंपड़ीनुमा घर हैं, जो जमीन से करीब 4 फुट की ऊंचाई पर बनाए जा रहे हैं. खासतौर पर बांस और कंक्रीट के पिलर यानि खंभों से बने ये आपदा प्रतिरोधी गोट शेड काफी मजबूत हैं. चारों तरफ जमीन में धंसे सीमेंट के पिलर पर चारो ओर सिंथेटिक धागों से बांसों को बांधा गया है. इसमें लोहे की कील का इस्तेमाल नहीं हुआ. साथ ही बांस पर दीमक विरोधी पेंट भी किया गया है. इन शेड में ऊपर बांस और घास की छत बनाई गई है. 4 फुट की ऊंचाई पर बने इस शेड में बकरियों के आने-जाने के लिए जमीन से लेकर सीढ़ियां बनाई गई हैं. एक शेड 100 स्क्वायर फुट से 120 स्कवायर फुट के दायरे में तैयार किया गया है. जिसमें 5-6 बकरियों के अलावा उनके 5-6 ही बच्चे भी रह सकते हैं.
कैसे होगी बकरियों की बाढ़-तूफान से सुरक्षा
हेफर के परियोजना डायरेक्टर डॉ. अभिनव गौरव ने न्यूज18 हिंदी को बताया कि इन शेड को बनाने से पहले कई सालों तक किए अध्ययन में यह बात सामने आई कि बिहार के वैशाली, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सीतामढ़ी और समस्तीपुर जिलों में जहां कोसी नदी की वजह से बाढ़ आती है, हर साल करीब 2 से ढ़ाई फुट ऊपर तक पानी आ जाता है. इस दौरान बाढ़ के कारण बकरियों के बहने, बीमार होने या मर जाने की समस्या आम है. जिसकी वजह से काफी नुकसान होता रहा है. लिहाजा ये गोट शेड जमीन से 4 फुट ऊंचे बनाए गए हैं. ऐसे में जब भी बाढ़ आएगी तो बाढ़ का पानी इन शेड तक नहीं पहुंच पाएगा. इतना ही नहीं इन इलाकों में चक्रवाती तूफान भी आते हैं, ऐसे में बेहद मजबूत बनाए जा रहे इन शेड में तेज और तूफानी हवाओं से भी बकरियों का बचाव हो सकेगा.
सिर्फ महिलाएं कर रहीं काम
डॉ. अभिनव बताते हैं कि सबसे खास बात है कि जिन 70 हजार परिवारों के साथ मिलकर बकरियों के लिए शेड बनाने का काम हो रहा है उसमें सिर्फ स्थानीय महिलाओं को ही शामिल किया गया है. इसमें पुरुष शामिल नहीं हैं. महिलाओं के अलग-अलग ग्रुप बनाए गए हैं जो बैंक से लोन लेने से लेकर गोट शेड निर्माण कार्य करवाने तक के काम में जुटे हुए हैं. इन शेड को बनाने में जो भी पैसा लग रहा है वह बैंक से लिया गया लोन, हेफर की तरफ से की जा रही आर्थिक मदद और स्थानीय लोगों के एक छोटे शेयर से आ रहा है. फिलहाल शुरुआती 10 शेड बनकर तैयार हो चुके हैं. अभी 500 शेड बनाने का लक्ष्य है.
बकरी पालन बढ़े और आजीविका का साधन बने
डॉ. गौरव कहते हैं कि सिर्फ राज्य सरकारें ही नहीं बल्कि केंद्र सरकार भी बकरी पालन को बढ़ाने पर फोकस कर रही है. आर्थिक रूप से वंचित वर्ग को बकरियां पालने और उनसे आजीविका कमाने के लिए प्रेरित करना भी एक उद्धेश्य है. यही वजह है कि पालन के लिए लोगों को बकरियां भी प्रदान की जा रही हैं.
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Tags: Flood, Goat market
FIRST PUBLISHED : September 14, 2022, 17:31 IST