भारतीय बाजार में प्रीमियम सेगमेंट में 83 फीसदी की हुई वृद्धि, निवेशकों को मिल रहा अच्छा मौका
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने हाल ही में कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) की बुनियाद मजबूत बनी हुई है। भारत की विकास दर दुनिया में सबसे तेज है। एक तरफ जहां पूरी दुनिया मंदी की आशंका से जूझ रही है तो वहीं भारत में मंदी आने की कोई संभावना नहीं दिख रही है। भारत हर तरफ से एक मजबूत स्थिति में खड़ा है।
भारत में बढ़ रहे हैं लग्जरी खर्च
भारत में लोगों की आमदनी बढ़ रही है, जिसका असर मार्केट में बढ़ी मांग को देखकर लगाया जा सकता है। औसत प्रति व्यक्ति आय पहले ही 2,000 डॉलर को पार कर चुकी है और 2047 तक 12,000 डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है। इसके अलावा ई-कॉमर्स क्षेत्र और डिजिटल लेनदेन के तेजी ने बाजार में ग्राहकों की पहुंच बढ़ा दी है, जिससे लग्जरी चीजों की डिमांड बढ़ गई है।
प्रीमियम सेगमेंट में 83 फीसदी की वृद्धि
रिमोट और हाइब्रिड वर्किंग मॉडल के प्रसार के कारण एचएनआई और एनआरआई ग्राहकों के विशिष्ट समूह ने कुछ क्षेत्रों में समृद्ध मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं को शामिल करने के लिए विस्तार किया है। भारतीय स्मार्टफोन बाजार में साल दर साल पहली छमाही में 1 फीसदी की गिरावट आई है, वहीं प्रीमियम सेगमेंट में 83 फीसदी की वृद्धि हुई है। हालांकि, इस सेगमेंट की कुल स्मार्टफोन बाजार में सिर्फ 6 फीसदी हिस्सेदारी रखती है।
जैसे-जैसे घरेलू खपत में वृद्धि हो रही है। उससे अन्य क्षेत्रों में प्रीमियमकरण के रुझान को बढ़ावा मिलेगा। जून नी और एंड्रयू पामर के पेपर ‘कंज्यूमर स्पेंडिंग इन चाइना : द पास्ट एंड द फ्यूचर’ के अनुसार, 2000 और 2015 के बीच चीन में घरेलू खर्च में तीन गुना वृद्धि के साथ परिवहन और संचार सेवाओं पर खर्च में सात गुना वृद्धि हुई थी।
निवेशकों को निवेश के लिए कहां मिलेगा मौका?
मनोरंजन क्षेत्र के लिए संभावनाएं उतनी ही आशाजनक हैं, जब तक लोग सब्सक्रिप्शन पैकेज के लिए भुगतान करने के इच्छुक हैं और टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी वफादार ग्राहक बने रहते हैं, जब तक पैसे के लायक सामग्री है। रियल एस्टेट, घर से संबंधित उत्पादों और एफएमसीजी पर्सनल केयर स्पेस की कंपनियों को भी काफी फायदा होगा।
मुख्य बात यह है कि भारतीय उपभोक्ता बाजार वैश्विक सार्वजनिक और निजी इक्विटी निवेशकों के लिए एक प्रमुख फोकस क्षेत्र बना रहेगा। मौजूदा और नई कंपनियां बाजार पूंजीकरण में सैकड़ों अरबों डॉलर की कमाई करेंगी।