Opinion: पीएम मोदी ने सिर्फ घोषणा नहीं की थी, 25 साल में सभी नागरिकों को मिलेगा पूरा पोषण, हर सितंबर चलेगा अभियान
लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने अगले 25 साल के लिए भारत के हर नागरिक को सुपोषित बनाने का लक्ष्य रखा है. अपने मन की बात कार्यक्रम में भी पीएम मोदी ने कहा था कि त्योहारों का मौसम आने वाला है, इसलिए सब कुपोषण मुक्त भारत बनाने में योगदान दें. इस लक्ष्य को पाने के लिए केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को जिम्मा सौंपा गया है. महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी का मानना है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में देश भर के लाखों आंगनवाड़ी केन्द्रों से महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर आ रहे उत्साहवर्धक नतीजे, ये साबित कर रहे हैं कि कुपोषण के खिलाफ एक जन आंदोलन खड़ा हो चुका है.वैसे भी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत गरम पका हुआ खाना हर बच्चे का अधिकार है.
हर देश का विकास इसी बात पर निर्भर करता है कि वहां के बच्चे और गर्भवती महिलाओं को पोषक खाना मिलता है या नहीं. पूरे देश में चलाया जाना वाला पोषण अभियान ये सुनिश्चित करता है कि इसके लाभार्थियों तक पोषक खाना, टीकाकरण और साथ ही लगातार उनके वजन को नापा जाता रहे. इस विभाग की कैबिनेट मंत्री स्मृति इरानी ने ऐलान किया है कि पूरा सितंबर देश भर में पोषण माह के तौर पर मनाया जाएगा. स्मृति इरानी ने इस योजना को सफल बनाने और देश की भावी पीढ़ी को सुरक्षित और सुपोषित बनाने में अमूल्य योगदान देने वाली आंगनवाड़ी बहनों का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी केन्द्रों से जुड़े लाभार्थियों को बेहतर व्यवस्था देने के लिए उन्हें आधार से जोड़ने का जो काम आंगनवाड़ी बहनों ने किया है, उसी के कारण पोषण ट्रैकर से जुड़े 11 करोड़ लाभार्थियों में से 70 फीसदी की जानकारी, सत्यापित की जा चुकी है.
क्या है पीएम पोषण योजना
पीएम पोषण शक्ति निर्माण योजना को पहले मीड डे मिल योजना के नाम से जाना जाता था. यह केन्द्र सरकार द्वारा चलायी जा रही योजना है, जिसमें सरकारी और सरकारी अनुदान से चल रहे स्कूलों में पढ़ रहे बाल वाटिका से लेकर कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को मुफ्त पोषक खाना देने का प्रावधान है. इसके तहत देश भर के 11.20 लाख स्कूलों में पढ़ रहे 12 करोड़ से ज्यादा बच्चे 5 से 11 साल के हैं, 22.6 लाख बच्चे बाल वाटिका, 7.2 करोड़ प्राथमिक शिक्षा केन्द्रों, 4.6 करोड़ बच्चे उच्च प्राथमिक शिक्षा केन्द्रों से जुड़े हैं. पीएम पोषण का सबसे बड़ा उद्देश्य है देश के गरीब बच्चों तक शिक्षा और भोजन पहुंचाना. आठवीं कक्षा तक के गरीब बच्चों को पोषक खाना देकर स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित करना, ताकि वे अपनी कक्षा में ध्यान केन्द्रीत कर सकें.
खास कर सूखा पीड़ित इलाकों, आपदा के समय या फिर गर्मी की छुट्टियों के दौरान भी पौष्टिक खाना, दूर दराज के इलाकों में छात्रों को स्कूल तक खींच कर लाने का महत्वपूर्ण काम कर रहा है. हर साल केन्द्र सरकार अपनी इस योजना पर 20000 करोड़ रुपये खर्च करती है, जिसमें खाद्य सब्सिडी लगभग 9500 करोड़ रुपये आती है. इस योजना की खास बात यह है कि कोविड काल में भी, जब लॉकडाउन में सभी स्कूल बंद हो गए थे, तब उन तमाम छात्रों को खाद्य सुरक्षा भत्ता भी मिला, जिन्होंने स्कूलों में नामांकन कराया हुआ था. साल 2022.23 के लिए केन्द्र सरकार ने इस योजना के तहत 31 लाख मिट्रिक टन अनाज जारी किया है. जिस दिन भी स्कूल खुले हों, उस दिन पीएम पोषण के तहत पका हुआ गरम खाना हर लाभार्थी बच्चे को परोसा जाएगा. इसमें 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन प्राथमिक कक्षा और 700 कैलोरी और 20 ग्राम प्रोटीन उच्च प्राथमिक कक्षा के छात्रों के लिए सुनिश्चित किए जाते हैं.
जन भागीदारी सुनिश्चित की गयी
इस योजना के तहत पूरे समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है. तिथि भोजन के माध्यम से जन्मदिन, सालगिरह या फिर राष्ट्रीय महत्व के दिन समुदाय से ही वाॅलंटियर आगे आकर खाना मुहैया कराते हैं. देश भर के करीब 4 लाख स्कूलों में स्कूल न्यूट्रीशन गार्डेन बनाए गए हैं, जहां हरे पत्तों की सब्जियां और फल इन स्कूली बच्चों के खाने में अतिरिक्त जुड़ जाते हैं. अतिरिक्त पोषण के लिए फल और चिक्की जैसी चीजों का प्रावधान तमाम आकांक्षी जिलों में किया गया है, जहां अनिमिया जैसी बीमारी है. राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुपों की भागीदारी सुनिश्चित करने के निर्देश केन्द्र सरकार दे रही है. साथ ही इन स्कूली बच्चों के खाने में मिलेट का इस्तेमाल करने को प्रोत्साहित कर रही है. पीएम पोषण योजना का सोशल ऑडिट हर जिले में अनिवार्य कर दिया गया है और ये लगभग सभी राज्यों में लागू किया जा रहा है. पंचायत के स्तर पर इस योजना के क्रियान्वयन के लिए जन सुनवाई भी की जाती है, जिसमें पंचायत प्रतिनिधि, अभिभावक, आम लोग हिस्सा लेकर इसको सफल बनाने के लिए अपनी राय सामने रखते हैं.
सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0
यह दुनिया की सबसे बड़ी और अनुठी योजना है. नवजात बच्चों के पोषण और उनके विकास में योगदान देने देने के लिए. इस योजना के अंतर्गत लाभार्थियों की लिस्ट भी लंबी है. इस योजना के दायरे में पैदा होने से लेकर 6 साल के बच्चे, गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली माताएं और बालिकाओं को भी लाया गया है. इस योजना में 7075 पूरी तरह से ऑपरेशनल प्रोजेक्ट्स दूर दराज के क्षेत्रों तक पहुंचने का काम कर रहे हैं. साथ ही 13.91 साख आंगनवाड़ी केन्द्र, 13.14 लाख आंगनवाड़ी वर्कर और 11.67 लाख आंगनवाड़ी हेल्पर लाभार्थियों तक सुविधा पहुंचाने में लगे हैं. मार्च 2022 तक के आंकड़ों के मुताबिक पूरे देश में इस योजना के तहत 9.49 करोड़ लाभार्थियों को कवर किया जा रहा है.
केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के नेतृत्व में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय इस मुहिम मे जुटा है कि बच्चों, माताओं को कुपोषण से कैसे बचाया जाए और साथ ही इस गरम पौष्टिक भोजन की सुविधा से न सिर्फ स्वस्थ बच्चे बड़े हों, बल्कि स्कूल ड्रॉप आउट रेट कम की जाए. तमाम विभागों के साथ समन्वय बिठाते हुए दूर दराज के क्षेत्रों तक लाभार्थियों को जोड़ना आसान नहीं होता, लेकिन इस असंभव को संभव बनाने में जुटी हैं स्मृति इरानी के नेतृत्व में आंगनवाड़ी की बहनें. ताकि जब देश आजादी के 100 साल पूरे कर रहा हो तब 2047 में हर नागरिक को सुपोषित बनाने का पीएम मोदी का लक्ष्य पूरा हो सके.
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Tags: Government of India, PM Modi, Smriti Irani
FIRST PUBLISHED : September 09, 2022, 07:52 IST