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Opinion: नये भारत की नयी तस्वीर, सेन्ट्रल विस्टा आने वाले वक्त का गवाह रहेगा

8 सितम्बर की शाम को सेन्ट्रल विस्टा एवेन्यू के उद्घाटन के समय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘आज हम गुजरे हुए कल को छोड़कर, आने वाले कल की तस्वीर में नए रंग भर रहे हैं. आज जो हर तरफ ये नई आभा दिख रही है, वो नए भारत के आत्मविश्वास की आभा है. गुलामी का प्रतीक किंग्सवे यानि राजपथ, आज से इतिहास की बात हो गया है, हमेशा के लिए मिट गया है. आज कर्तव्य पथ के रूप में नए इतिहास का सृजन हुआ है. मैं सभी देशवासियों को आजादी के इस अमृतकाल में, गुलामी की एक और पहचान से मुक्ति के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं’ दरअसल प्रधानमंत्री मोदी की ये बधाई नए भारत को उसकी नयी तस्वीर के लिए है. वो भारत जो आज दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, वो नया भारत जिसने इकोनोमी की रेस में अभी अभी उस देश को पीछे छोड़ा जिसने सालों उस पर राज किया, वो भारत जो 2029 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार हो रहा है.

नया भारत
पराधीनता से संघर्ष एक सतत प्रक्रिया है. ये दिल और दिमाग से चलने वाली अनवरत संकल्प यात्रा है जब तक की सम्पूर्ण आजादी का लक्ष्य हासिल ना हो जाए. जॉर्ज पंचम की मूर्ति के निशान को हटाकर नेताजी की मूर्ति लगना उसी श्रंखला का में कदम है. इसी तरह कर्तव्य पथ केवल एक ऐसा रास्ता भर नहीं है जो सत्ता के शीर्ष तक ले जाता है बल्कि वो पराधीन अतीत पर हमारे हजारो सालों के नैतिक मूल्य और आदर्श के सहारे लोकतान्त्रिक जीत का जीवंत मार्ग है. ब्रिटिश राज में ‘किंग्स वे’ बना जो गुलाम भारत के लोगों पर शासन का प्रतीक था लेकिन आजाद भारत के राजपथ की भावना भी गुलामी का ही प्रतीक थी, उसकी संरचना भी गुलामी का प्रतीक थी. नये भारत में ना केवल आर्किटैक्चर बदला है, बल्कि इसकी आत्मा भी बदली है. वर्षों से संभ्रांत और सामंती सोच के लोगों का एक वर्ग जो देश के सत्ता में अहम् भूमिका निभाता रहा है, चाहता था कि केवल सीमित संख्या में लोगों को ही याद किया जाए लेकिन नए भारत की नयी तस्वीर में श्रमिक का सम्मान है. उद्घाटन के समय खुद प्रधानमंत्री ने कहा,’आज के इस अवसर पर, मैं अपने उन श्रमिक साथियों का विशेष आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जिन्होंने कर्तव्यपथ को केवल बनाया ही नहीं है, बल्कि अपने श्रम की पराकाष्ठा से देश को कर्तव्य पथ दिखाया भी है.’ नई संसद के निर्माण के बाद उसमें काम करने वाले श्रमिकों को भी एक गैलरी में स्थान दिया जाएगा.

नया भारत तेजी से प्रगति के पथ पर अग्रसर है. कर्तव्य पथ पर अडिग नया भारत हर चुनौती से लड़ने को तैयार है. SBI के रिसर्च पेपर के मुताबिक 2014 के बाद से भारत एक बड़े संरचनात्मक बदलाव से गुजरा है. दुनिया की अर्थव्यवस्था में 2014 में भारत 10वें नंबर पर था लेकिन इसके बाद से आठ साल में आज भारत 5 पायदान ऊपर चढ़ कर पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. चालू वित्त वर्ष में भी प्रबल संभावना है कि भारतीय इकोनॉमी सबसे तेज रफ्तार से आगे बढ़ेगी. अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भारत का मुकाबला चीन से है लेकिन आने वाले दिनों में भारत को इसमें भी और फायदा मिल सकता है क्योंकि चीन नए निवेश के मामले में धीमा पड़ा रहा है. भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था और उदार संरचना ‘इज ऑफ़ डूइंग बिजनेस’ में भारत को दुनिया भर में निवेश के बड़े मौके के तौर पर पेश कर रही हैं. इसके संकेत कई क्षेत्रो से मिल रहे हैं. माना जा रहा है कि भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र 2025 तक 50 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा तो टेलीमेडिसिन कारोबार के भी 2025 तक 5.5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप पूल गढ़ने वाले भारत के पास 750 मिलियन से अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हैं. रक्षा क्षेत्र में भी भारत तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ रहा है फिर चाहें वो आधुनिक हथियारों हों या फिर तोप, ड्रोन और फाइटर जेट, भारत अब सारे उपकरण खुद ही बनाने में लगा है. 2 सितंबर को स्वदेश नर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को नौसेना को समर्पित कर दिया गया, जो आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया का बहुत बड़ा क्षण रहा.

नयी तस्वीर
नया भारत अपनी नयी तस्वीर भी रच रहा है. इसे एक बेहद महत्वपूर्ण उदाहरण से समझ सकते है. गुरूवार शाम इंडिया गेट के समीप राष्ट्रनायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस की विशाल मूर्ति स्थापित हुई. गुलामी के समय यहाँ ब्रिटिश राजसत्ता के प्रतिनिधि की प्रतिमा लगी हुई थी. बकौल खुद प्रधानमंत्री मोदी ‘आज देश ने उसी स्थान पर नेताजी की मूर्ति की स्थापना करके आधुनिक, सशक्त भारत की प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी है.’ 28 फुट ऊंची नेताजी की ये मूर्ती ग्रेनाइट पत्थर पर उसी जगह स्थापित की गई है जहां बीते 23 जनवरी को पराक्रम दिवस पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया था. ये दोनों निर्माण कार्य सेंट्रल विस्टा रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जुलाई में नए संसद भवन की छत पर बनाए गए अशोक स्तंभ का भी अनावरण कर चुके हैं.

सेंट्रल विस्टा को भारत की नयी तस्वीर कहने के पीछे पर्याप्त कारण भी हैं. इस प्रोजेक्ट के अंदर राष्ट्रपति भवन, उपराष्ट्रपति का घर, संसद, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, रेल भवन, वायु भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन, शास्त्री भवन, निर्माण भवन, नेशनल आर्काइव्ज, जवाहर भवन, नेशनल म्यूजियम, विज्ञान भवन, रक्षा भवन, वाणिज्य भवन, हैदराबाद हाउस, जामनगर हाउस, इंडिया गेट, नेशनल वॉर मेमोरियल और बीकानेर हाउस आते हैं. राष्ट्रपति भवन, हैदराबाद हाउस, इंडिया गेट, रेल भवन, वायु भवन और वॉर मेमोरियल में रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत भी कोई बदलाव नहीं होगा जबकि नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक दोनों को नेशनल म्यूजियम में बदला जाएगा.

सबसे ख़ास बात ये कि संसद की मौजूदा इमारत को पुरातात्विक धरोहर में बदल दिया जाएगा. नये संसद भवन के निर्माण पर 971 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है, और इसका 70 फीसदी काम हो चुका है. माना जा रहा है कि इसी साल नवंबर तक नयी संसद का सारा काम पूरा हो जाएगा. नए संसद भवन के साथ ही उप-राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास के साथ नया केंद्रीय सचिवालय भी बनाया जाएगा, जिस पर पर 3,690 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. इसी केंद्रीय सचिवालय में सभी मंत्रालय शिफ्ट किए जाएंगे. केंद्रीय सचिवालय का काम दिसंबर 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है. सेंट्रल विस्टा एवेन्यू पर कुल 608 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है जिसमें अब तक 477.28 करोड़ रुपये खर्च हो चुका था.

नये भारत की नयी तस्वीर को गढ़ने की ना तो ये न शुरुआत है,न अंत है. पराधीनता के एक एक चिह्न से मुक्ति पाने में समय लगेगा लेकिन नवनिर्मित कर्तव्य पथ और सेन्ट्रल विस्ता जैसे अलंकार हमारे महान देश के लिए ना केवल एक नया विज़न और नया विश्वास रचेंगे बल्कि इनमें आपको भविष्य के भारत और उसकी ऊर्जा भी नज़र आयेगी.

(डिस्‍क्‍लेमर- ये लेखक के निजी विचार हैं. )

Tags: Central Vista, Central Vista Avenue

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