देश में सुरक्षित हैं उइगर मुसलमान, चीन ने UN की रिपोर्ट को किया खारिज-China rejects newly united nations news report about Uighur Muslims
Highlights
- 10 लाख से ज्यादा लोगों को डिटेंशन सेंटरों में कैद करके रखा गया है
- रिपोर्ट बृहस्पतिवार की सुबह एशिया में जारी की गयी थी
- यूएन ने चीन की उइगर मुसलमानों पर भेदभाव वाली नीति और यातनाओं पर अपील की
Uighur Muslims: प्रतिक्रिया चीन ने उइगर मुसलमानों से संबंधित संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को खारिज किया है। जिसमें कहा गया है कि शिनजियांग में उइगर और अन्य मुस्लिम जातीय समूह के लोगों को सरकार द्वारा जबरन नजरबंद रखना मानवता के खिलाफ अपराध के दायरे में आ सकता है। मानवाधिकार समूहों और जापान की सरकार ने इस रिपोर्ट का स्वागत किया है। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने अपनी आतंकवाद और उग्रवाद रोधी नीतियों के तहत मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन किया है।
बैचलेट के यात्रा के बाद आई ये रिपोर्ट
संगठन ने संयुक्त राष्ट्र, विश्व बिरादरी और खुद चीन से इस पर तत्काल ध्यान देने का आह्वान किया है। इस बीच जिनेवा में चीन के राजनयिक मिशन ने तीखी प्रतिक्रिया देते संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का कड़ा विरोध किया। चीन ने कहा कि इस रिपोर्ट में शिनजियांग में किए गए मानवाधिकार संबंधी कार्यों की उपलब्धियों और आबादी को आतंकवाद व उग्रवाद से हुए नुकसान की अनदेखी की गई है। चीन के मिशन ने एक बयान में इस रिपोर्ट को चीन विरोधी तत्वों का कृत्य करार दिया और कहा कि यह गलत जानकारी व झूठ पर आधारित है, जिसका उद्देश्य चीन की छवि धूमिल करना है। इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने रिपोर्ट को रोकने के चीन के अनुरोध को खारिज कर दिया। बैचलेट ने मई में शिनजियांग की यात्रा की थी, जिसके बाद यह रिपोर्ट आयी है।
रिपोर्ट के बाद छिड़ गई बहस
इस रिपोर्ट ने क्षेत्र के मूल उइगर और अन्य प्रमुख मुस्लिम जातीय समूहों के अधिकारों पर पश्चिमी देशों के साथ राजनयिक प्रभाव को लेकर रस्साकशी शुरू की है। पश्चिमी राजनयिकों और संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने कहा कि रिपोर्ट लगभग तैयार थी लेकिन बैचलेट का चार साल का कार्यकाल पूरा होने से कुछ ही मिनटों पहले इसे जारी किया गया। कई पत्रकारों, स्वतंत्र मानवाधिकार समूहों ने शिनजियांग में वर्षों से मानवाधिकार उल्लंघन पर काफी कुछ लिखा है। बैचलेट की इस रिपोर्ट पर संयुक्त राष्ट्र तथा उसके सदस्य देशों की मुहर लगी है। इसके जारी होने के बाद विश्व संस्था में चीन के प्रभाव पर बहस छिड़ गई।
रिपोर्ट जारी होने से कुछ देर पहले संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जून ने कहा था कि बीजिंग इस रिपोर्ट का दृढ़ता से विरोध करता है। जापान रिपोर्ट पर टिप्पणी करने वाले शुरुआती देशों में से एक था।
रिपोर्ट बृहस्पतिवार की सुबह एशिया में जारी की गयी थी। जापान के शीर्ष सरकारी प्रवक्ता ने चीन से शिनजियांग क्षेत्र में पारदर्शिता और मानवाधिकार की स्थिति में सुधार करने का आग्रह किया। मानवाधिकार संगठनों ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने संयुक्त राष्ट्र और सरकारों से मानवाधिकारों के हनन की एक स्वतंत्र जांच करने का आह्वान किया।
चीन उइगर मुसलमानों के ऊपर करता है अत्याचार
चीन सबकुछ इतना छिपाकर रखता है कि ऐसे अत्याचारों के बारे में कई जानकारियां तो बाहर ही नहीं आ पाती हैं। खुद संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वह इसे लेकर निश्चित तौर पर यह नहीं बता सकता कितने लोगों को डिटेंशन सेंटर में रखा गया है। हालांकि, मानवाधिकार समूहों का अनुमान है कि अकेले उत्तर पूर्व के चीन के शिनजियांग प्रांत में 10 लाख से ज्यादा लोगों को डिटेंशन सेंटरों में कैद करके रखा गया है। वहां उन्हें अमानवीय यातनाएं दी जाती हैं। उइगर मुस्लिमों को जबरन दवाइयां दी जाती हैं। उन पर परिवार नियोजन और बर्थ कंट्रोल नीतियों की भेदभावपूर्ण नीति लागू की जाती है।
यूएन ने चीन की उइगर मुसलमानों पर भेदभाव वाली नीति और यातनाओं पर अपील की है कि वे इस पर लगाम लगाए। यूएन के अनुसार चीन की कुछ करतूतेंअंतरराष्ट्रीय अपराधों की श्रेणी में आती हैं। यूएन रिपोर्ट में यहां तक इशारा किया गया है कि चीन की कुछ कार्रवाइयां ‘मानवता के खिलाफ अपराध समेत अंतरराष्ट्रीय अपराधों’ की श्रेणी में आती हैं।