कोरोना से राहत मिलने के साथ अब बीमा पॉलिसी की हार्ड कॉपी चाहते हैं बीमा धारक: सर्वे With relief from Covid, now the insurance holders want a hard copy of the insurance policy: Survey
Highlights
- बीमा कंपनियां पॉलिसी राशि का दावा करते समय पॉलिसी कागजी रूप में मांगती हैं
- पॉलिसीधारकों को भौतिक और इलेक्ट्रॉनिक रूप दोनों में बीमा दस्तावेज जारी करने होते हैं
- कोविड के कारण कंपनियों को केवल इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज 31 मार्च, 2022 तक जारी करने की अनुमति थी
नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी के मामलों में कमी आने के बाद अब अधिकांश लोग चाहते हैं कि बीमा कंपनियां उनकी बीमा पॉलिसी से जुड़े दस्तावेज कागजी रूप में भी उपलब्ध कराएं। हालांकि, लोग चाहते हैं कि बीमा पॉलिसी की डिजिटल प्रति भी उन्हें मिलती रहे। एक सर्वेक्षण में यह जानकारी दी गई है। विभिन्न आयु वर्गों और शहरों में लगभग 5,000 लोगों के जवाब के आधार पर यह सर्वेक्षण तैयार किया गया है।
लगभग 88 प्रतिशत उत्तरदाता अपने बीमा दस्तावेज़ की एक भौतिक प्रति रखना पसंद करते हैं क्योंकि बीमा कंपनियां दावे के समय इसकी मांग कर सकती हैं। बंबई मास्टर प्रिंटर्स एसोसिएशन (बीएमपीए) के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 80 प्रतिशत से अधिक लोगों का कहना है कि भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई), बीमा कंपनियों को ग्राहकों को पॉलिसी दस्तावेजों की भौतिक प्रति प्रदान करने का निर्देश दे।
सर्वे में कहा गया कि कई बीमा कंपनियों ने महामारी से पहले ही बीमा पॉलिसियों की भौतिक प्रतियों को पूरी तरह से हटाकर या इसे वैकल्पिक बनाकर ‘हरित’ होने का फैसला किया। जबकि कई उपभोक्ताओं का मानना है कि बीमा कंपनियां पॉलिसी राशि का दावा करते समय उनसे पॉलिसी कागजी रूप में मांगती हैं। इरडा के नियमनों के अनुसार, बीमा कंपनियों को पॉलिसीधारकों को भौतिक और इलेक्ट्रॉनिक रूप दोनों में बीमा दस्तावेज जारी करने होते हैं।