सरकार की मेहरबानी से अफसरों के लिए ऐशगाह बना BPSC, वर्षों से तबादला नहीं, साथ में प्रमोशन का इनाम

पटना. बिहार लोकसेवा आयोग की कार्यप्रणाली में लगातार गंभीर खामियां उजागर हो रही हैं. उन्हीं में से एक है आयोग में वर्षों से जमे अधिकारी-कर्मचारी. निर्धारित अवधि के बाद भी इनका तबादला नहीं किया गया है. इतना ही नहीं इन अधिकारियों और कर्मचारियों पर सरकार की कृपादृष्टि भी बरसती रही है. सालों से जमे अधिकारियों-कर्मचारियों का ट्रांसफर करने के बजाय उन्हें प्रमोशन का इनाम भी दिया गया है. न्यूज 18 हिन्दी की छानबीन में इसका खुलासा हुआ है. बीपीएससी द्वारा आयोजित 67वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक होने के बाद आयोग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है. आयोग में लंबे समय से अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला तक नहीं हुआ है. यह ट्रांसफर नियमावली का उल्लंघन है.
छानबीन में पता चला है कि बिहार लोकसेवा आयोग में वर्षों से जमे अधिकारियों-कर्मचारियों पर सरकार भी मेहरबान है. कई घोटाले और गड़बड़ियां उजागर होने के बाद भी व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया है. कई ऐसे अधिकारी हैं जो आयोग में पोस्टिंग पाकर प्रोन्नति भी हासिल कर लिया, लेकन उनका तबादला नहीं हुआ. ऐसे ही एक अधिकारी हैं अभय सिंह. अभय सिंह की 7 अक्टूबर 2016 में आयोग में उपसचिव के तौर पर पोस्टिंग हुई थी. वर्षों बाद उनका तबादला करने के बजाय उन्हें बीपीएससी में उपसचिव से प्रमोट कर सचिव बना दिया गया. एक अन्य अधिकारी मनोज कुमार पिछले तकरीबन 7 वर्षो से आयोग में जमे हुए हैं. मनोज ओएसडी के पद पर कार्यरत हैं. आयोग में उनकी पोस्टिंग 24 अगस्त 2015 को हुई थी.
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ट्रांसफर के बजाय अयोग में ही प्रमोशन
बीपीएससी में पदस्थापित विनोद कुमार सिंह पिछले 6 साल से भी ज्यादा वक्त से आयोग में उपसचिव हैं. विनोद की 11 मई 2016 में आयोग में पोस्टिंग हुई थी. वहीं, प्रभात कुमार 20 अप्रैल 2018 में बीपीएससी में आए थे और 3 साल पूरा होने के बाद वह अभी भी आयोग में ही बने हुए हैं. वह फिलहाल आप्त सचिव के पद पर तैनात हैं. संयुक्त सचिव अब्दुल बहाव अंसारी की बीपीएससी में 14 नवंबर 2017 में तैनाती हुई थी. निर्धारित समयसीमा के बाद भी उनका तबादला नहीं किया गया और वह आयोग से ही रिटायर हुए थे.
2017 में हुआ था बड़ा घोटाला
बिहार लोकसेवा आयोग में साल 2017 में बड़ा स्कैंडल हुआ था. प्रश्नपत्र लीक मामले में आयोग के तत्कालीन सचिव और अध्यक्ष की गिरफ्तारी भी हुई थी. इसके बावजूद उसी समय से आधा दर्जन अधिकारी और कर्मचारी आयोग में अभी भी जमे हुए हैं. बता दें कि हर 3 साल के बाद अधिकारियों का तबादला किए जाने का प्रावधान है, लेकिन शायद बीपीएससी के अधिकारियों-कर्मचारियों पर यह रूल लागू नहीं होता है. अफसरों के साथ ही प्रशाखा पदाधिकारियों और सहायकों का भी वर्षों से तबादला नहीं हुआ है. कई प्रशाखा पदाधिकारी और सहायक वर्षों से एक सेक्शन में जमे हैं.
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Tags: Bihar News, BPSC
FIRST PUBLISHED : May 14, 2022, 06:53 IST