अंतरराष्ट्रीय

United Nations looks helpless in the Russia-Ukraine war, what will be its future | रूस-यूक्रेन जंग में बुरी तरह बेबस नजर आए संयुक्त राष्ट्र का भविष्य क्या होगा?

United Nations Helpless in Russia-Ukraine war, United Nations, UN Russia Ukraine War- India TV Hindi
Image Source : AP
United Nations Secretary General Antonio Guterres.

Highlights

  • रूस-यूक्रेन के बीच जंग को रोक पाने में संयुक्त राष्ट्र पहले से भी कहीं ज्यादा बेबस नजर आया है।
  • कीव में यूएन चीफ गुटेरेस की मौजूदगी के दौरान रूस की सेना ने शहर पर मिसाइलें दागी थीं।
  • इस लड़ाई में यूएन अपने उन आदर्शों की रक्षा करने में नाकाम रहा है जिसके लिए उसे बनाया गया था।

Russia Ukraine War Day 75:  रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई ने पिछले कई हफ्तों से दुनिया को परेशानी में डाला हुआ है। दुनिया का लगभग हर देश चाहता है कि लड़ाई जल्द से जल्द खत्म हो, लेकिन मैदान-ए-जंग में लाशों का गिरना और लहू का बहना कब रुकेगा, ये या तो सिर्फ ईश्वर जानता है या रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन। ऐसी किसी भी स्थिति में दुनिया की नजर संयुक्त राष्ट्र की तरफ होती है, लेकिन इस लड़ाई को रोक पाने में वह पहले के भी कई मौकों से कहीं ज्यादा बेबस नजर आया है।

कीव में गुटेरेस की मौजूदगी में रूस ने दागी थीं मिसाइलें


संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (Antonio Guterres) ने पिछले महीने के आखिर में रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) की यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने पुतिन से जंग को जल्द से जल्द खत्म करने की अपील की थी। गुटेरेस की अपील का कितना असर हुआ, इसका सबूत रूस की उन मिसाइलों ने दिया जो कीव में उनकी मौजूदगी के दौरान शहर पर दागी गई थीं। यूएन चीफ की रूस की हालिया यात्रा इस बात की नायाब नजीर हो सकती है कि संयुक्त राष्ट्र अपनी स्थापना के मूल आदर्शों पर खरा उतरने में किस हद तक नाकाम रहा है। हकीकत तो यह है कि यूक्रेन जारी जंग को शांत करने की उसकी कोशिशों को किसी ने तवज्जो नहीं दी।

Russia Ukraine War, Vladimir Putin, Vladimir Putin Antonio Guterres

Image Source : AP

Russian President Vladimir Putin, left, speaks to U.N. Secretary-General Antonio Guterres during their meeting in the Kremlin, in Moscow, Russia.

कुछ आधी-अधूरी उपलब्धियां ही हासिल कर पाया यूएन

रूस और यूक्रेन के बीच जंग (Russia Ukraine War) शुरू हुए तकरीबन 75 दिन बीत चुके हैं, और तबसे दोनों देशों के बीच कोई शांति समझौता देखने को नहीं मिला। ऐसा नहीं है कि यूएन ने इसके लिए कोशिश नहीं की, लेकिन उसकी कोशिशों का कुछ खास असर नहीं हुआ। कुल मिलाकर कहा जाए तो यूएन की एकमात्र उपलब्धि मारियुपोल में जंग में फंसे नागरिकों की मदद के लिए हुआ समझौता ही है। इसके अलावा ऐसी कोई चीज नहीं है जिसके लिए कहा जाए कि संयुक्त राष्ट्र ने अपने उन आदर्शों की रक्षा की है, जिसके लिए उसका निर्माण हुआ था।

दुनिया में तबाही रोकने के लिए हुआ था यूएन का गठन
रूस-यूक्रेन की जंग में जो हो रहा है वह संयुक्त राष्ट्र चार्टर की रचना करने वालों की कल्पना से बहुत परे है। उनकी कोशिश थी कि खूनी जंग का इतिहास न दोहराया जाए। यूएन के पहले शांति स्थापित करने के लिए बना संगठन लीग ऑफ नेशंस नाकाम रहा था क्योंकि दुनिया की बड़ी ताकतों ने महसूस किया था कि उनकी भलाई इसमें शामिल न होने में है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद के 5 सबसे शक्तिशाली राष्ट्रों (अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन) को नए संयुक्त राष्ट्र में शामिल होने के लिए लुभाने के इरादे से इसे 2 भागों में बांटा गया।

यूएन में मिली खास शक्तियों से आकर्षित हुए थे बड़े देश

संयुक्त राष्ट्र में महासभा वह जगह है जहां मुद्दों पर चर्चा होती है। सुरक्षा परिषद के पास शांति और सुरक्षा पर वास्तविक शक्ति है। इन सबसे ऊपर, पांचों बड़े देशों को सुरक्षा परिषद की कार्रवाइयों पर वीटो की शक्ति की पेशकश की गई थी। इसका मतलब था कि इन 5 बड़े देशों में से कोई भी जंग को रोकने या उसे खत्म करने के लिए की गई किसी भी पहल को रोक सकता है। हम आज रूस-यूक्रेन जंग में भी इस दुखद सच्चाई को देख रहे हैं, और पहले भी कई लड़ाइयों में देख चुके हैं।

Russia Ukraine War, Volodymyr Zelenskyy, Volodymyr Zelenskyy Antonio Guterres

Image Source : AP

Ukrainian President Volodymyr Zelenskyy and UN Secretary-General Antonio Guterres, right, shake hands during their meeting in Kyiv.

रूस ने सबसे ज्यादा बार किया है वीटो का इस्तेमाल

वीटो की ताकत देते हुए यह उम्मीद थी कि कोई देश शायद ही कभी इसका इस्तेमाल करेगा, और जिन्हें ये ताकत मिली है वे आदर्श अंतरराष्ट्रीय नागरिकों के रूप में व्यवहार करेंगे। हालांकि 1946 के बाद से अब तक 200 से भी ज्यादा बार वीटो का इस्तेमाल हो चुका है। वीटो का इस्तेमाल करने में रूस (सोवियत संघ) पहले और अमेरिका दूसरे नंबर पर है। अमेरिका जहां इजरायल को बचाने के बार-बार वीटो का इस्तेमाल करता रहा है, तो रूस और चीन सुरक्षा परिषद की पहल को विफल करने के लिए इसका इस्तेमाल ज्यादा करते हैं।

सीरिया में भी बुरी तरह नाकाम साबित हुआ था यूएन

यह पहला मौका नहीं है जब संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापित करवा पाने में नाकाम साबित हुआ हो। इससे पहले सीरिया को मलबे में बदलना केवल इसलिए मुमकिन हो पाया था क्योंकि रूस ने अपने सहयोगी की सैन्य रूप से मदद की और फिर बार-बार वीटो करके सुरक्षा परिषद के हस्तक्षेप की निंदा की। अब दुनिया यूक्रेन के साथ भी ऐसी ही होता हुआ देख रही है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मूल सिद्धांतों को अपने टैंकों तले रौंद डाला हैं और इसमें उनकी सबसे बड़ी ताकत वीटो ही रहा है। 

आगे क्या होने वाला है संयुक्त राष्ट्र का भविष्य?

पिछले कुछ सालों के उदाहरणों को देखकर पता चलता है कि संयुक्त राष्ट्र नपुंसक हो चुका है, और धीरे-धीरे अपना प्रासंगिकता खोता जा रहा है। यदि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में और देशों को शामिल नहीं किया गया, साथ ही वीटो के अधिकार को सीमित नहीं किया गया तो इसका भविष्य अनिश्चित नजर आ रहा है। संयुक्त राष्ट्र में सुधार नहीं किया गया तो महाशक्तियों के टकराव को रोकने के लिए बनाया गया यह संगठन रेत के महल की तरह कभी भी बिखर सकता है।

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
VIVA99 adalah salah satu deretan daftar situs judi online terpercaya dan paling gacor yang ada di indonesia . VIVA99 situs agen judi online mempunyai banyak game judi slot online dengan jacpot besar, judi bola prediksi parlay, slot88, live casino jackpot terbesar winrate 89% . Mau raih untung dari game judi slot gacor 2022 terbaru? Buruan Daftar di Situs Judi Slot Online Terbaik dan Terpercaya no 1 Indonesia . VIVA99 adalah situs judi slot online dan agen judi online terbaik untuk daftar permainan populer togel online, slot88, slot gacor, judi bola, joker123 jackpot setiap hari