आगरा जेल में सालों से बंद करीब 13 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत, जानें क्या है पूरा मामला
नई दिल्ली. आगरा जेल में बंद करीब 13 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है. शीरेष अदालत ने इन सभी दोषियों को पर्सनल बांड के आधार पर अंतरिम जमानत प्रदान की. सुप्रीम कोर्ट में कैदियों की तरफ से दी गई याचिका में कहा गया था कि जेल में बंद सभी याचिकाकर्ता 14 से 22 साल तक की अवधि जेल में गुजार चुके हैं. याचिका में ये भी कहा गया कि 2012 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर किए जाने के बाद जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को कैदियों की किशोरावस्था से संबंधित आवेदनों का निपटारा करने के निर्देश दिए गए थे.
याचिका में कहा गया कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्डकी ओर से फरवरी 2017 से इस साल मार्च के बीच याचिकाकर्ताओं को किशोर घोषित करने के स्पष्ट आदेश के बावजूद इन सभी को रिहा करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया. पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने आगरा केंद्रीय कारागार में बंद इन 13 कैदियों की रिहाई का निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था.
इन लोगों को इस आधार पर रिहा करने की मांग की गयी थी कि उन्हें अपराध के समय किशोर घोषित किया गया था. जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच ने याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए आज की तारीख तय की थी.
कोर्ट में दाख़िल अर्जी में दिया गया था ये आधार
वकील ऋषि मल्होत्रा के जरिए दाखिल याचिका में कहा गया कि 13 कैदी अपराध के समय जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड द्वारा 18 साल से कम उम्र के घोषित किये जाने के बावजूद जेलों में वक्त काट रहे हैं. याचिका में कहा गया उनकी समस्या इस बात से और बढ़ गई कि आगरा केंद्रीय कारागार में बंद ये कैदी पहले ही 14 से 22 साल तक का कारावास में बिता चुके हैं. इसमें कहा गया कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम में तीन साल तक की अधिकतम कैद का प्रावधान है और वह भी जुवेनाइल जस्टिस होम में रहने पर ही.