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Companies found it difficult to raise funds this year, the first half of the new year is likely to be challenging| कंपनियों को इस साल फंड जुटाने में आई मुश्किल, नए साल की पहली छमाही भी चुनौतीपूर्ण रहन

फंड - India TV Hindi
Photo:FILE फंड

कंपनियों की शेयर बाजार के जरिये फंड जुटाने की कवायद 2022 में करीब 20 प्रतिशत घटकर 11 लाख करोड़ रुपये रह गई। कर्ज महंगा होने और बाजारों में अस्थिरता की वजह से भी उत्साह ठंडा पड़ा है। ऐसे में 2023 की पहली छमाही चुनौतीपूर्ण रह सकती है। फंड जुटाने के लिहाज से 2021 एक शानदार वर्ष था जबकि 2022 में दुनियाभर में आसमान छूती मुद्रास्फीति और रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से आई अस्थिरता के कारण इसमें कमी आई। ट्रस्टप्लूटस वेल्थ (भारत) प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध साझेदार (उत्पाद) एवं मुख्य परिचालन अधिकारी विशाल चांदीरमानी ने कहा, वैश्विक स्तर पर हो रहे घटनाक्रमों की वजह से 2023 की पहली छमाही चुनौतीपूर्ण रह सकती है। अमेरिका में मंदी का प्रभाव यदि मामूली रहता है तो हम अगले वर्ष की दूसरी छमाही में वैश्विक बाजारों में तेजी की उम्मीद कर सकते हैं।

आईपीओ बाजार की धीमी रफ्तार से संकट 

हालांकि, उन्होंने कहा कि बाजारों में तेजी आ भी जाए तब भी पहले की तुलना में अगले कुछ वर्षों में कोष जुटाना मुश्किल भरा हो सकता है। गुजरते वर्ष में ऋण बाजार के जरिये जुटाए गए वित्त में कुछ वृद्धि हुई है जबकि इक्विटी के जरिये जुटाया नया वित्त बहुत तेजी कम हुआ है। दरअसल, भू-राजनीतिक तनाव की वजह से 2022 में आईपीओ के जरिये वित्त जुटाने की कवायद घटकर आधी रह गई। इस वर्ष वित्त जुटाने की कुल गतिविधियों में सर्वाधिक हिस्सेदारी ऋण बाजार से वित्त जुटाने की रही है। विश्लेषण करने वाली कंपनी प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के मुताबिक, इस वर्ष दिसंबर महीने के मध्य तक कुल 11 लाख करोड़ रुपये का कोष जुटाया गया जिसमें से 6.92 लाख करोड़ रुपये कर्ज बाजार से, 1.62 करोड़ रुपये इक्विटी बाजार से और 2.52 लाख करोड़ विदेशी मार्गों से आए। वर्ष 2021 में कंपनियों ने 13.6 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे जिसमें 6.8 लाख करोड़ रुपये कर्ज के जरिये, 2.85 लाख करोड़ रुपये इक्विटी से जिसमें से रिकॉर्ड 1.2 लाख करोड़ रुपये आईपीओ से जुटाए थे। 

मौद्रिक नीतियां सख्त होने का भी असर 

ये आंकड़े दिखाते हैं कि कोष जुटाने की गतिविधियों के लिए 2021 में माहौल बहुत ही आकर्षक था जबकि 2022 में यह बिलकुल अलग है। फिस्डम में अनुसंधान प्रमुख नीरव कारकेरा ने कहा, ‘‘वर्ष 2021 कम लागत पर ऋण पुनर्वित्त करने, अत्यधिक अनुकूलित लागत पर ऋण के माध्यम से नई पूंजी जुटाने के साथ-साथ सकारात्मक भावनाओं के बीच अच्छे मूल्यांकन का लाभ उठाने के लिहाज से बढ़िया साल रहा।’’ उन्होंने कहा कि 2022 में प्रोत्साहन नहीं मिला, मौद्रिक नीतियां सख्त हो गईं, दुनियाभर में मुद्रास्फीतिक चिंताएं बढ़ीं और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान समेत कई चुनौतियां आईं। 

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