Opinion: पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद एक नई शुरुआत की उम्मीद
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही शाहबाज़ शरीफ ने अपने पहले भाषण में पीएम मोदी को बातचीत की पेशकश की और कहा कि भारत और पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे को हल करना चाहिए ताकि दोनों देश गरीबी और बेरोज़गारी को दूर करने के लिए कदम उठा सके. वहीं प्रधानमंत्री मोदी भी शहबाज़ शरीफ को बधाई देने वाले वर्ल्ड लीडर्स की फेहरिस्त में सबसे ऊपर थे. प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा कि भारत आतंक मुक्त क्षेत्र में शांति और स्थिरता चाहता है. ताकि हम अपनी विकास से जुड़ी चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित कर सकें और अपने लोगों की समृद्धि सुनिश्चित कर सकें. वहीं प्रधानमंत्री मोदी के ट्वीट के जवाब में शाहबाज़ शरीफ ने मंगलवार को ट्वीट कर लिखा कि पाकिस्तान भारत के साथ शांतिपूर्ण और सहयोग-पूर्ण संबंध चाहता है.
कश्मीर का जिक्र करते हुए शाहबाज़ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर सहित सभी विवादों का शांतिपूर्ण समाधान ज़रूरी है. उन्होंने लिखा कि आतंकवाद से लड़ने में पाकिस्तान की कुर्बानी जगज़ाहिर है. उन्होंने पीएम मोदी को कहा कि आइए शांति सुनिश्चित करें और अपने लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास पर ध्यान दें. तीन बार पाकिस्तानी पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के छोटे भाई शाहबाज़ शरीफ के सत्ता में आने से भारत-पाक रिश्ते में नई शुरुआत हो सकती है. इमरान खान के दौर में भारत-पाकिस्तान रिश्तों में नई गिरावट देखी गई जिसमें 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारतीय एयर स्ट्राइक और 27 फरवरी 2019 को पाकिस्तान की तरफ से की गई कार्रवाई का भारत का मुंह तोड़ जवाब देना. वही 5 अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते निचले स्तर पर चले गए. पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापार पर रोक लगा दी थी, वहीं पाकिस्तान ने अपने उच्चायुक्त को नई दिल्ली से वापस बुला लिया था.
लेकिन अब पड़ोसी मुल्क में सत्ता के बदलाव के बाद एक नई शुरुआत की उम्मीद की जा सकती है. शाहबाज शरीफ को पाकिस्तानी सेना का करीबी माना जाता है, और वहीं शरीफ को एक कुशल प्रशासक के तौर पर देखा जाता है. देखना यह भी दिलचस्प है कि पाकिस्तान में अगले साल चुनाव से पहले शहबाज़ शरीफ के रहते भारत-पाक संबंध कितने मजबूत हो सकते हैं. इमरान खान से अलग शाहबाज़ शरीफ का रवैया भारत के प्रति थोड़ा नरम रहा है. जहां इमरान खान लगातार प्रधानमंत्री मोदी पर सीधे जुबानी हमले करते आए, वहीं शाहबाज़ शरीफ भी कश्मीर का मुद्दा उठाते आए हैं लेकिन उनका रवैया इमरान खान से जुदा रहा. शाहबाज़ शरीफ ने होली के मौके पर हिंदु समुदाय को बधाई दी, वहीं पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों की हत्या पर भी वो चिंता जताते आए हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के निधन पर भी जहां उन्होंने शोक जताया और कहा कि भारत ने ऐसा नेता खो दिया है जिसकी क्षेत्रीय शांति के लिए की गई सेवाओं को लंबे समय तक याद रखा जाएगा. वही लता मंगेशकर के निधन पर भी उन्होंने ट्वीट कर कहा कि लता मंगेशकर के निधन से संगीत की दुनिया ने ऐसी गायका को खो दिया है जिसने अपनी सुरीली आवाज से पीढ़ियों को मंत्रमुग्ध किया. 2020 अगस्त में केरल में एयर इंडिया के प्लेन क्रैश को लेकर भी शाहबाज़ शरीफ ने अफसोस जताया था. वही शाहबाज़ शरीफ ने कई बार भारत पर जुबानी हमला भी किया, जिसमें कश्मीर मुद्दा भी शामिल है.
5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद शाहबाज़ शरीफ ने भाजपा सरकार की निंदा की थी. वहीं भारत में अल्पसंख्यकों को लेकर भी शहबाज़ शरीफ टिप्पणी करते आए हैं. कर्नाटक के हिजाब विवाद को लेकर भी शाहबाज शरीफ ने हिंदुस्तानी मुसलमानों को लेकर टिप्पणी की थी. सोमवार को पाकिस्तानी नेशनल असेंबली में शहबाज़ शरीफ को पाकिस्तान के 23वें प्रधानमंत्री के तौर पर चुना गया था. अपने पहले भाषण में उन्होंने कहा कि हम भारत से अच्छे संबंध चाहते हैं, लेकिन कश्मीर मसले को हल किए बिना स्थाई शांति मुमकिन नहीं होगी. हालांकि पाकिस्तान की विदेश नीति में कश्मीर मुद्दा हमेशा बना रहेगा लेकिन शाहबाज़ शरीफ के चुने जाने से रिश्तो पर जमी बर्फ को पिघलाने का एक नया मौका मिल सकता है.
पाकिस्तान के साथ रिश्तो में पिछले 1 साल में कुछ गर्माहट देखने को मिली है. पिछले साल फरवरी में दोनों देशों के बीच सीमा पर सीज़फायर पर सहमति बनी, जो अभी भी बरकरार है. वहीं दोनों देशों के बीच धार्मिक पर्यटन को लेकर भी कदम उठाए गए हैं जिसमें करतारपुर कॉरिडोर का दोबारा खोला जाना, पाकिस्तान से श्रद्धालुओं का जत्था भारत आना और बैसाखी के मौके पर सिख श्रद्धालुओं के लिए पाकिस्तान उच्चायोग का वीज़ा जारी करना शामिल है. वहीं भारत से पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान को 50000 मीट्रिक टन चावल भेजने पर भी दोनों देशों के बीच सहमति हुई.
माना जाता है कि शरीफ परिवार भारत के साथ अच्छे संबंधों की वकालत करता आया है. गौरतलब है कि 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ भी शामिल हुए थे, वहीं पीएम मोदी ने 2015 में पाकिस्तान का दौरा किया और नवाज़ शरीफ़ की पौती की शादी में शामिल हुए थे. आखरी बार शाहबाज़ शरीफ दिसंबर 2013 में भारत दौरे पर आए थे जब उनकी मुलाकात उस वक्त के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से हुई थी. दिल्ली दौरे पर उन्होंने मेट्रो से यात्रा भी की और दिल्ली के सॉलि़ड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का दौरा किया. उस दौरे पर वह पंजाब भी गए और उस वक्त के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से मुलाकात की. चर्चा इस बात पर भी हुई कि कैसे दोनों देशों के पंजाब आपस में सहयोग कर सकते हैं. जब शाहबाज शरीफ भारत आए थे तब उन्होंने कहा था की युद्ध कोई विकल्प नहीं है, उन्होंने शांतिपूर्ण बातचीत की बहाली पर ज़ोर दिया था जिसमें सियाचिन, सर क्रीक और कश्मीर शामिल है. गौरतलब है कि पाकिस्तान की चरमराती हुई अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है कि वह भारत के साथ अपने व्यापार संबंधों को ठीक करे.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
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