हौसले की उड़ान : सेना ने पहली बार दिया 6 कश्मीरी विकलांग युवकों को स्कीइंग का प्रशिक्षण

गुलमर्ग. एक ओर जहां किसी विकलांग व्यक्ति के लिए जीवन में सामान्य दिनचर्या के काम करने में भी कठिनाई पेश आती है, तो वहीं कई ऐसे भी लोग हैं, जिन्होंने अपनी अपंगता को पीछे छोड़कर कुछ नया कर गुजरने की इच्छाशक्ति दिखाई है. सेना की चिनार कॉर्प्स ने एक ऐसी ही पहल करते हुए कश्मीर के विकलांग युवाओं को स्कीइंग का प्रशिक्षण दिया है. इसका उद्देश्य इस उम्मीद के साथ इन युवकों को स्कीइंग का अनुभव देना है कि आने वाले समय में कई और कश्मीरी युवा इस रोमांचक खेल को अपनाएंगे.
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को 15वीं कोर के मुख्यालय में जीओसी 31 सब एरिया ने झंडी दिखाकर शुरू किया और कमांडेंट, एचएडब्ल्यूएस ने इसका मार्गदर्शन और निरीक्षण किया था. गौरतलब है कि कई वालंटियर्स ने कम समय के प्रशिक्षण के लिए भारतीय सेना से संपर्क किया था. जयपुर के एक गैर सरकारी संगठन भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति ने इसके लिए कृत्रिम अंग और अन्य विशेष सामान मुहैया कराए थे. इस टीम ने कठिन और कठोर मौसमी परिस्थितियों में 12 से 26 मार्च तक 14 दिनों का बेसिक स्कीइंग कोर्स सफलतापूर्वक पूरा किया.
#ChinarCorps organised a skiing course for specially abled Kashmiri youth from 12 to 26 Mar 22 at HAWS, #Gulmarg in conjunction with NGO @BmvssJaipurFoot. Lt Col DD Goel, a serving #Chinarwarrior, a left leg amputee of Op-Parakram led the team. We salute their willpower.#Kashmir pic.twitter.com/eA0V6NHroA
— Chinar Corps???? – Indian Army (@ChinarcorpsIA) March 27, 2022
प्रशिक्षण दल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कर्नल धरमदत्त गोयल ने किया, जो खुद युद्ध में घायल सैनिक हैं और बायें पैर से विकलांग हैं. दल के अन्य छह कश्मीरी सदस्यों में गौहर अहमद गनी, उमर सलाम, अब्दुल रहमान मीर, रफीक, मुसैब राशिद और सईद नज़ीर शामिल थे. प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने फिसलने, ग्लाइडिंग, बर्फ की जुताई, पैंतरेबाजी और ट्रैवर्सिंग के बुनियादी कौशल सीखे. इनमें से कई लोगों को कृत्रिम पैर लगे होने के बावजूद उन्होंने साबित किया कि मानव मन की ताकत सभी सीमाओं से ऊपर उठ सकती है. बुनियादी कौशल सीखने के बाद उन्होंने सफलतापूर्वक 250 मीटर की दूरी तय की, जो कि पहले दिन एक असंभव काम लग रहा था.
भारत में विकलांगों के लिए स्कीइंग को लोकप्रिय बनाया जाना अभी बाकी है. इन छह स्कीयरों ने अपने साहस और प्रेरक काम के माध्यम से कश्मीर के युवाओं को एक बड़ा संदेश दिया है कि जीवन में चुनौतीपूर्ण स्थिति के बावजूद दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से हमेशा सफलता मिलती है. एक रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि चिनार कोर को उम्मीद है कि आने वाले समय में कई और विकलांग युवा स्कीइंग करेंगे और पैरालिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे.
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