How patriotic song aye mere watan ke logo tune sing in beating retreat who wrote it
इस बार 26 जनवरी की गणतंत्र दिवस परेड के बाद जब 29 जनवरी को बीटिंग रिट्रीट होगी तो उसमें बदलाव के बाद गीत ‘एबाइड विद मी’ की धुन को हटाकर ऐ मेरे वतन के लोगों की धुन बजाई जाएगी. ये गाना देश की सेना को सम्मान देने वाला माना जाता रहा है. पहली बार इसे 27 जनवरी 1963 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के सामने गाया गया था. ये गाना कैसे बना और फिर कैसे लोगों की जुबान पर चढ़ गया, इसकी भी अपनी एक कहानी है.
इस सदाबहार कालजयी गाने को कवि प्रदीप ने लिखा था और इसे सबसे पहले लता मंगेशकर ने 27 जनवरी 1963 को गाया था. जब लता इसको गा रही थीं तो माहौल इतना भावुक हो गया कि ज्यादातर लोगों की आंखों में आंसू छलक आए, जिसमें नेहरू भी थे.
कैसे हुआ इस गाने का जन्म
क्या आपको पता है इस गाने का जन्म कैसे हुआ था. कवि प्रदीप ने एक इंटरव्यू में बाद में बताया कि ये गाना कैसे बना. कैसे हुई इसकी पैदाइश. 1962 के भारत-चीन युद्ध में भारत की बुरी हार हुई थी. पूरे देश का मनोबल गिरा हुआ था. ऐसे हालात में लोगों ने फ़िल्म जगत और कवियों की ओर देखा कि वो कैसे सबके उत्साह और मनोबल को बढ़ा सकते हैं.
बीटिंग रिट्रीट पर इस बार जिस गाने की धुन बजनी है, वो 06 दशकों से देश का देशभक्ति से जुड़ा सबसे पसंदीदा गाना रहा है. (विकी कामंस)
फिर इस कवि से कहा गया कि वो लिखें
सरकार ने भी फिल्म उद्योग इस बारे में कुछ करने की गुजारिश की, जिससे देश फिर जोश से भर उठे. चीन से मिली हार के ग़म पर मरहम लगाई जा सके. उस जमाने में कवि प्रदीप ने देशभक्ति के कई गाने लिखे थे. उन्हें ओज का कवि माना जाने लगा था. लिहाजा उन्हीं से कहा गया कि आप एक गीत लिखें. तब देश में फिल्मी जगत के तीन महान गायकों की तूती बोलती थी. वो थे मोहम्मद रफ़ी, मुकेश और लता मंगेशकर.
तब एक भावनात्मक गाना लिखा गया
चूंकि देशभक्ति के कुछ गाने रफी और मुकेश की आवाज में गाये जा चुके थे लिहाजा नया गाना लता मंगेशकर को देने की बात सूझी लेकिन इसमें एक अड़चन थी. उनकी आवाज सुरीली और रेशमी थी. उसमें जोशीला गाना शायद फिट नहीं बैठ पाता. तब कवि प्रदीप ने एक भावनात्मक गाना लिखने की सोची
नेहरू की आखों से भी आंसू छलक आए
इस तरह ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाने का जन्म हुआ. जिसे जब दिल्ली के रामलीला मैदान में लता ने नेहरू के सामने गाया तो उनकी आंखों से भी आंसू छलक गए. इस गीत ने अगर कवि प्रदीप को अमर कर दिया तो लता मंगेशकर हमेशा के लिए एक गाने से ऐसी जुड़ीं कि ये उनकी भी बड़ी पहचान बन गया. कवि प्रदीप ने इस गीत का राजस्व युद्ध विधवा कोष में जमा करने की अपील की.
इस गाने को लिखा था कवि प्रदीप ने, जिन्होंने हिंदी फिल्मों के लिए कई हिट देशभक्ति से जुड़े गाने लिखे.
इस तरह उन्होंने फिल्मों में गाना लिखना शुरू किया
कवि प्रदीप शिक्षक थे. कविताएं भी लिखा करते थे. एक बार किसी काम के सिलसिले में उनका मुंबई जाना हुआ. वहां उन्होंने एक कवि सम्मेलन में हिस्सा लिया. वहां एक शख़्स आया था जो उस वक़्त बॉम्बे टॉकीज़ में काम करता था. उसे उनकी कविता बहुत पसंद आई और उसने ये बात बॉम्बे टॉकीज़ के मालिक हिमांशु राय को सुनाई.
उन्होंने हिमांशु राय से मिलवाया गया. हिमांशु राय को उनकी कविताएं बहुत पसंद आईं. उन्हें तुरंत 200 रुपए प्रति माह पर रख लिया गया, जो उस वक़्त एक बड़ी रकम होती थी.
कई हिट देशभक्ति के गाने लिखे
कवि प्रदीप का मूल नाम ‘रामचंद्र नारायणजी द्विवेदी’ था. उनका जन्म मध्य प्रदेश प्रांत के उज्जैन में बड़नगर नामक स्थान में हुआ. कवि प्रदीप की पहचान 1940 में रिलीज हुई फिल्म बंधन से बनी. हालांकि 1943 की स्वर्ण जयंती हिट फिल्म किस्मत के गीत “दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा है” के जरिए वो ऐसे महान गीतकार हो गए, जिनके देशभक्ति के तरानों पर लोग झूम जाया करते थे. इस गाने पर तत्कालीन ब्रिटिश सरकार उनसे नाराज हो गई. उनकी गिरफ्तारी के आदेश दिए गए. बचने के लिए वह भूमिगत हो गये.
दादा फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित हुए
05 दशक के अपने पेशे में कवि प्रदीप ने 71 फिल्मों के लिए 1700 गीत लिखे. उनके देशभक्ति गीतों में, फिल्म बंधन (1940) में “चल चल रे नौजवान”, फिल्म जागृति (1954) में “आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं”, “दे दी हमें आजादी बिना खडग ढाल” और फिल्म जय संतोषी मां (1975) में “यहां वहां जहां तहां मत पूछो कहां-कहां” है. भारत सरकार ने उन्हें सन 1997-98 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया. 1998 में कवि प्रदीप का निधन हो गया था.
संगीत भी दिल को छूने वाला था
कालजयी बन चुके गाने ऐ मेरे वतन के लोगों का संगीत सी॰ रामचंद्र ने दिया था. उनकी धुन भी दिल को छूने वाली थी. सी रामचंद्र को चितालकर या अन्ना साहिब भी कहा जाता था. वह फिल्मों में संगीत निर्देशक थे और कभीकभार प्लेबैक सिंगर की भूमिका भी निभाई. उन्होंने बालीवुड की कई फिल्मों में संगीत दिया. उनका जन्म 12 जनवरी 1918 को एक मराठी ब्राह्मण परिवार में अहमदनगर में हुआ. 05 जनवरी 1964 को उनका निधन हो गया.
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