Exclusive। महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल को है टोक्यो में मेडल न जीत पाने का मलाल – Exclusive indian women hockey team captain rani rampal will always regret for not winning the olympic medal
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम से काफी उम्मीदें थी और टीम ब्रॉन्ज मेडल जीतकर सभी की उम्मीदों पर खरी भी उतरी। वहीं, टोक्यो रवाना होने से पहले शायद ही किसी ने कल्पना की होगी कि भारतीय महिला हॉकी टीम मेडल के इतना करीब पहुंचकर खेल जगत में सनसनी मचा देगी। हालांकि भारतीय महिला हॉकी टीम का टोक्यो ओलंपिक में आगाज बेहद ही खराब रहा। रानी रामपाल की कप्तानी वाली भारतीय महिला टीम अपने शुरुआती 3 मैच हारकर टूर्नामेंट से बाहर होने की कगार पर खड़ी थी कि तभी टीम ने अपना गियर बदला और आखिरी के दोनों ग्रुप मैचों में जीत हासिल करते हुए क्वार्टर फाइनल का टिकट पक्का कर लिया।
रानी रामपाल की खिलाड़ियों ने उस वक्त सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी जब टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से हराते हुए सेमीफाइनल में जगह बनाई। ये पहली बार था जब महिला हॉकी टीम ओलंपिक में टॉप-4 में पहुंचने में कामयाब हुई थी। इसके बाद अगले दोनों मैच हारकर टीम मेडल भले ही न जीत पाई लेकिन सभी का दिल जीतने में पुरुष हॉकी टीम से एक कदम आगे रही।
भारतीय महिला हॉकी टीम के इसी ऐतिहासिक प्रदर्शन को लेकर इंडिया टीवी ने टीम की कप्तान रानी रामपाल से खास बातचीत की। रानी ने मेडल से चूकने का दर्द और फैंस से मिले भरपूर प्यार जैसी भावनाओं को इंडिया टीवी के साथ साझा किया।
रानी रामपाल ने इंडिया टीवी से कहा, “हमें फैंस का भरपूर प्यार और सम्मान मिला। मुझे उम्मीद है कि फैंस आगे आने वाले टूर्नामेंट भी हमारी टीम को ढेर सारा प्यार देंगे और सपोर्ट करेंगे क्योंकि पहले मैंने ऐसा कभी नही देखा था। भले ही हम मेडल नहीं जीत पाए लेकिन लोगों ने जो प्यार और सम्मान दिया वो अपने आप में बहुत ज्यादा मायने रखती है।”
ओलंपिक में पूरी टीम की परफार्मेंस के सवाल के जवाब में रानी रामपाल ने कहा, “हमारी टीम की फिटनेस में काफी सुधार हुआ है और पिछले कुछ सालों में हमने इस पर बहुत काम भी किया है। हमारी टीम ने पूरे टूर्नामेंट में काफी अच्छा खेला। शुरुआती 3 मैच हारने के बाद वापसी करना और अगले 3 मैच जीतना आसान नहीं होता है। आखिरी के 2 मैच जो हम हारें भी, सेमीफाइनल और ब्रॉन्ज मेडल मुकाबले, उनमें हमने अच्छी फाइट की। लेकिन दुर्भाग्य से हम जीत नहीं पाए। शायद उस दिन हमारा दिन नहीं था।”
टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज से चूकने को लेकर रानी ने कहा, “मेडल न जीत पाने का दर्द तो हमेशा दिल में रहेगा। हमने यहां तक पहुंचने के लिए बहुत सारा त्याग, संघर्ष और मेहनत की। ये शायद सभी को नजर न आए। लेकिन हां, खिलाड़ी का जीवन ऐसा ही होता है। उसे पीछे का भुला कर आगे की ओर देखना ही होता है। जैसे एक मैच हारकर अगले मैच पर ध्यान लगाना होता है। वैसे ही एक मेडल हारने के बाद अगले मेडल के लिए तैयारी में जी-जान से जुटना पड़ता है। हमारा फोकस यही रहेगा।”
टोक्यों में लगातार 3 हार के बाद टीम की शानदार वापसी के सवाल पर रानी ने कहा, “शुरुआती 3 हार के बाद हम काफी दुखी थे। यहां तक कि सपोर्ट स्टाफ के अंदर भी काफी निराशा का माहौल था। कोच हमसे इसलिए नाराज थे कि उन्होंने इतने साल तक हमारे साथ काम किया। उन्होंने उम्मीद नहीं की थी कि हम इतना खराब खेलेंगे खासकर ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ। हमें लगता है कि कोच अपनी जगह सही थे और उन्होंने गलत गुस्सा नहीं किया। इसके बाद उन्होंने टीम का काफी हौंसला बढ़ाया और कहा कि हमारे लिए अभी भी क्वार्टर फाइनल में जाने के रास्ते खुले हैं। इसके बाद हमने फैसला किया कि अगले 2 मैचों में फाइट करेंगे और रिजल्ट के बारें में नहीं सोचेंगे।”
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सेमीफाइनल मुकाबले में अर्जेंटीना के खिलाफ मिली 1-2 से हार का कारण पूछे जाने के सवाल के जवाब में रानी ने कहा, “मुझे लगता है कि अर्जेंटीना जैसी टीम के पास काफी एक्सपीरियंस है। उन्होंने कई बार ओलंपिक का सेमीफाइनल और फाइनल खेला है। हमारे पास इतना एक्सपीरियंस नहीं हैं। हम एक समय अर्जेंटीना के खिलाफ 1-0 से आगे थे लेकिन बाद उन्होंने बराबरी की और फिर लीड हासिल करते हुए मैच अपने नाम किया। लेकिन हम कैंप में जाकर जरुर इसका ऐनालिसिस करेंगे कि ओलंपिक में क्या अच्छा कर सकते हैं और उसके हिसाब से ट्रेनिंग करेंगे।”