Encouraging words of PM Narendra Modi gave positive energy ahead of bronze medal match Manpreetप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उत्साहवर्धक बातों ने कांस्य पदक मुकाबले से पहले सकारात्मक ऊर्जा दी: मनप्रीत
नई दिल्ली। भारतीय हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह ने मंगलवार को कहा कि ओलंपिक सेमीफाइनल में बेल्जियम से हार के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उत्साहवर्धक बातों का अद्भुत असर हुआ जिसने खिलाड़ियों में सकारात्मक ऊर्जा पैदा की और टीम 41 साल बाद इन खेलों में पदक जीतने में सफल रही। विश्व चैंपियन और ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता बेल्जियम से 2-5 से हारने के बाद मोदी ने मनप्रीत और मुख्य कोच ग्राहम रीड से बातचीत की और उन्हें सांत्वना दी, जिससे पूरी टीम प्रेरित हुई। मनप्रीत ने कहा कि प्रोत्साहन के उन शब्दों ने अद्भुत तरीके से काम किया।
भारतीय कप्तान ने कहा, ‘‘ सेमीफाइनल हारने के बाद हम सभी बहुत निराश थे, तभी कोच ने आकर कहा कि प्रधानमंत्री आप लोगों से बात करना चाहते हैं और जब उन्होंने बात की, तो उन्होंने कहा, ‘आप सभी ने अच्छा खेला और निराश न हों, बस अपने खेल और अगले मैच पर ध्यान दें, देश को आप सभी पर गर्व है’।’’
मनप्रीत ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ इससे हमें सकारात्मक ऊर्जा मिली और फिर हमने खिलाड़ियों की बैठक की। हमने कहा कि हमें एक और मौका मिला है और अगर हम खाली हाथ लौटते हैं तो हमें जीवन भर यही पछतावा रहेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हमने अपने आप से कहा कि हमारे हाथ में 60 मिनट हैं और अगर हम इन 60 मिनटों में अपना सर्वश्रेष्ठ दें तो हम अपने चेहरे पर मुस्कान के साथ देश लौट सकते हैं।’’
भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ओलंपिक में 41 साल के अंतराल के बाद हाल ही कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा है। भारत ने ओलंपिक में आठ स्वर्ण पदक जीते हैं। उसने आखिरी पदक 1980 के मास्को खेलों (स्वर्ण) में जीता था।
मनप्रीत ने कहा, ‘‘ बहुत अच्छा लग रहा है। यह मेरा तीसरा ओलंपिक था और इस बार मैं टीम का कप्तान था। मेरा पहला ओलंपिक 2012 में काफी निराशाजनक रहा था क्योंकि हमने कोई मैच नहीं जीता था। लेकिन फिर हमने सुधार किया और एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीते। हमने 2016 में अच्छा खेला लेकिन क्वार्टर फाइनल की बाधा को पार नहीं कर सके।’’
मनप्रीत ने कहा, ‘‘ इस बार हमारी मानसिकता अलग थी क्योंकि हमने काफी मेहनत की थी। हमने बेंगलुरु में एक साथ समय बिताया था। परिसर के अंदर पृथकवास पर थे। हम सभी दूसरों से अलग थे। इसलिए ओलंपिक में जाने से पहले हमारा विचार था कि हमने बहुत त्याग किया है और अगर हम अपना सर्वश्रेष्ठ देंगे तो हम निश्चित रूप से पदक जीत सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ यह एक युवा टीम थी और इसलिए मानसिकता काफी मजबूत थी। अनुभवी खिलाड़ियों के रूप में हमने युवाओं से अपना अनुभव साझा किया। हमारी मानसिकता थी कि हमें किसी भी टीम को कम नहीं आंकना चाहिए क्योंकि यह ओलंपिक है और सभी टीमें उस मंच पर अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करती हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने हर मैच में अपना सर्वश्रेष्ठ दिया और एक बार में एक मैच पर ध्यान दे रहे थे। ’’
मनप्रीत ने कहा कि बेंगलुरु में पृथकवास में रहने के दौरान सभी खिलाड़ियों ने देश के पिछले हॉकी ओलंपियन और उनकी यात्रा के बारे में बहुत कुछ पढ़ा, जिसने उनके लिए प्रेरणा का काम किया।
उन्होंने कहा, ‘‘महामारी सभी के लिए एक अभिशाप थी, लेकिन यह हमारे लिए एक तरह से अच्छा था क्योंकि लॉकडाउन के दौरान, हमने देश के सभी ओलंपियन और उनकी यात्रा के बारे में पढ़ा, उन्होंने खुद को कैसे तैयार किया, उन्हें किन समस्याओं का सामना करना पड़ा। इससे एक मजबूत टीम बनाने में मदद मिली।’’
ऑस्ट्रेलिया से 1-7 के बड़े अंतर से मैच गंवाने के बाद टीम की मानसिकता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘ जब हम 1-7 से हारे तो ड्रेसिंग रूम में सभी ने कहा कि 1-7 बड़ा अंतर है। लेकिन जब हमने खेल विश्लेषण किया तो पता चला कि हमने उस मैच में भी अच्छा खेला था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने सभी से कहा कि हमें बस विश्वास होना चाहिए कि हम किसी भी टीम को हरा सकते हैं और हमने पहले भी ऐसा किया है। सबने कहा कि हमने बहुत त्याग किया और हमें मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहिए।’’