बीएमसी ने हाई कोर्ट को बताया– News18 Hindi

अधिवक्ता अनिल सख्रे ने कहा, ‘‘फर्जी टीका शिविरों में जाने वालों में से केवल 1,636 लोग हमारे पास पहुंचे थे, हमने उन सभी की जांच की. उनमें कोई दुष्प्रभाव या स्वास्थ्य समस्या नहीं पाई गई है. जबकि पुलिस रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें टीके की जगह लवणयुक्त पानी दिया गया था.’’ सख्रे ने कहा, ‘‘हमने केंद्र सरकार से कोविन पोर्टल से इन लोगों का पंजीकरण रद्द करने और फिर से पंजीकरण करने को कहा है. हम जल्द ही इन पीड़ितों लोगों के टीकाकरण के लिए अभियान चलाएंगे.’’
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मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ अधिवक्ता सिद्धार्थ चंद्रशेखर की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल साखरे ने बताया था, ‘‘हमें पता चला है कि जिस दिन लोगों को फर्जी टीका लगाए गए, उन्हें टीकाकरण प्रमाण-पत्र उसी दिन नहीं दिए गए. बाद में ये प्रमाण-पत्र तीन अलग-अलग अस्पतालों के नाम पर जारी किए गए. तब जाकर लोगों को यह अहसास हुआ कि कहीं कुछ गड़बड़ है.’’
राज्य सरकार के अधिवक्ता मुख्य लोक अभियोजक दीपक ठाकरे ने अदालत को बताया कि शहर में अब तक कम से कम नौ फर्जी शिविरों का आयोजन किया गया और इस सिलसिले में चार अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई हैं. राज्य सरकार ने इस मामले में जारी जांच संबंधी स्थिति रिपोर्ट भी अदालत में दाखिल की. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ को महाराष्ट्र की ओर से सूचित किया गया पुलिस ने अब तक 400 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं और जांचकर्ता आरोपी चिकित्सक का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि उपनगर कांदीवली की एक आवासीय सोसाइटी में फर्जी टीकाकरण शिविर लगा था, उसी मामले में एक चिकित्सक आरोपी है.
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