अफगानिस्तान में तालिबान के आने से क्यों खतरे में आ गई ये मुस्लिम कौम?
कौन हैं हजारा मुसलमान
हजारा शिया मुसलमानों को मंगोल मूल का माना जाता है. फारसी भाषा का एक रूप हजारगी बोलने वाले इन मुसलमानों के बारे में अलग-अलग जानकारियां हैं कि ये असल में कहां से आए. माना जाता है कि मंगोल शासन के दौरान हजार सैनिकों का एक दस्ता तैयार हुआ था. ये लोग उन्हीं मंगोल सैनिकों के वंशज हैं.
दो नस्लों का मेल माना जाता है
पाकिस्तान और अफगानिस्तान में मानते हैं कि हजारा शुद्ध मंगोल नहीं, बल्कि मंगोलों के मध्य एशिया की दूसरी जातियों के मेल से बना, जैसे तुषारी लोग, कुषाण लोग या उस इलाके में ईरानी भाषाएं बोलने वाले लोग.
हजारा समुदाय को अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान में भी गरीबी झेलनी पड़ रही है
कौन सी भाषा बोलते हैं
फिलहाल इस समुदाय का बड़ा हिस्सा अफगानिस्तान में बसा हुआ है, जहां ये लोग दरी फारसी की हजारगी उपभाषा बोलेते हैं. ये मॉडर्न फारसी का ही एक रूप है. इसके अलावा हजारा लोगों के नाम भी मंगोल शख्सियतों के नाम पर होते हैं. साथ ही उनकी सूरत भी बहुत-कुछ मंगोल नस्ल से प्रेरित है, जो कुछ तो चीनी लोगों की तरह होते हैं.
क्यों होती रही हिंसा
अब सवाल ये आता है कि हजारा समुदाय को अफगानिस्तान या पाकिस्तान में कोई प्रताड़ित किया जाता रहा. तो इसका जवाब है धार्मिक कट्टरता. अफगानिस्तान में हजारा लोगों पर तालिबानी हमला, इस समुदाय की औरतों के साथ बलात्कार आम बात रही.
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तालिबानियों को दरअसल लगता है कि हजारा शुद्ध कौम नहीं. यहां बता दें कि हजारा शिया मुस्लिम हैं, जबकि तालिबान सुन्नी इस्लामिक आंदोलन. ऐसे में दोनों विचारधाराओं के बीच टकराव रहा. जब अफगानिस्तान में पूरी तरह से तालिबानी शासन था, तब भी हजारा शियाओं पर भारी हिंसा हुई थी और जहां ये लोग रह रहे थे, वहां भुखमरी फैल गई थी.
अफगानिस्तान में हजारा लोगों पर तालिबानी हमला हमेशा ही होता रहा- सांकेतिक फोटो
टकराव का खतरा बढ़ा
अमेरिकी सेना के आने पर लगभग 2 दशक पहले तालिबान कमजोर पड़ा. इसके बाद पहली बार हजारा समुदाय में उम्मीद जागी कि वे गरीबी और अशिक्षा से बाहर आ सकेंगे, हालांकि अब दोबारा वे खतरे में हैं. यही कारण है कि बीते कुछ ही महीनों में अफगानिस्तान से वो हजारा दूसरे देशों, जैसे ईरान की ओर पलायन कर गए. ये लोग समुदाय का काफी छोटा हिस्सा हैं, जो पलायन करके दोबारा बसने का खतरा ले सकते हैं. वहीं अफगानिस्तान में बाकी बचे हजारा लोग खतरे से बचने के लिए हथियार उठा सकते हैं, ये आशंका भी मंडरा रही है.
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यही हाल पाकिस्तान में भी है
सुन्नी-बहुल इस देश में हजारा समुदाय के लोगों को नीची नजर से देखा जाता है. इसके अलावा आतंकी संगठन ISIS ने भी सुन्नी चरमपंथ को बढ़ावा दिया ताकि ईरान से मुकाबला हो सके. ऐसे में हजारा लोगों पर आतंकी हमले बढ़ते ही चले गए. अक्सर ही हजारा खनन और सड़क मजदूरों पर हमले की खबरें आती रहती हैं.
तालिबानी खतरे से बचने के लिए हजारा बंदूक उठा रहे हैं- सांकेतिक फोटो
साल 2013 में हजारा समुदाय का कत्लेआम
मंगोलों की तरह चेहरे-मोहरे वाला ये समुदाय अलग से पहचान में आ जाता है और फिर इन्हें छांट-छांटकर सजा मिलती है. पाकिस्तान में साल 2013 में बड़ा नरसंहार हुआ था, जिसमें लगभग महीनेभर में ही सैकड़ों हजारा लोगों को मार दिया गया. मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने माना था कि आंकड़े हजारों में रहे होंगे लेकिन कोई पक्का प्रमाण नहीं मिल सका.
वैसे पाकिस्तान में इस समुदाय के कुछेक लोग ऊंचे पदों पर पहुंचे. जैसे कि जनरल मुहम्मद मूसा खान हजारा कमांडर इन चीफ थे. इसकी वजह ये भी ये समुदाय काफी मेहनती और शारीरिक तौर पर बहुत मजबूत होता है. ऐसे में माना गया कि भारत में गोरखाओं की तरह, पाकिस्तान में हजारा समुदाय को सेना में रखा जाएगा लेकिन धार्मिक चरमपंथियों के कारण ये संभव नहीं हो सका.