राष्ट्रीय

सीरम ने भी मांगी लीगल एक्शन से छूट, वैक्सीनेशन पर क्या पड़ेगा इसका असर?

नई दिल्ली. भारत सरकार द्वारा टीकाकरण प्रक्रिया (Vaccination Policy) को तेज करने के लिए फाइजर और मॉडर्ना को क्षतिपूर्ति से छूट देने की खबरों के बीच सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने गुरुवार को भी दायित्व से क्षतिपूर्ति में छूट की मांग की है. वैक्सीन निर्माता ने कहा कि चाहे वैक्सीन कंपनी- भारतीय हों या विदेशी सभी को समान सुरक्षा देनी चाहिए. सरकार ने अब तक किसी भी वैक्सीन निर्माता को उनके द्वारा निर्मित टीकों से किसी भी गंभीर दुष्प्रभाव के लिए कानूनी कार्रवाई के खिलाफ क्षतिपूर्ति या संरक्षण नहीं दिया है. आइए जानते हैं कि इसका मतलब क्या है और यह भारत में टीकाकरण प्रक्रिया में कैसे मदद करेगा.

क्षतिपूर्ति क्या है?

क्षतिपूर्ति का अर्थ है वैक्सीन निर्माताओं को कानूनी कार्यवाही से सुरक्षा जिसके जरिए यह सुनिश्चित होगा कि उन पर भारत में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है. भारत में किसी भी कंपनी को अभी तक यह संरक्षण नहीं दिया गया है.. हालांकि फाइजर और मॉडर्ना ने कहा है कि वे भारत को निर्यात तभी करेंगे जब उनका संपर्क केंद्र सरकार से होगा और कंपनी को कानूनी मामलों से संरक्षण मिलेगा.

क्षतिपूर्ति के लिए किसने कहा है?फाइजर और मॉडर्ना ने यह मांग उठाई है. इसके बाद सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने गुरुवार को कहा कि सभी वैक्सीन निर्माताओं को समान सुरक्षा दी जानी चाहिए. फाइजर और मॉडर्ना अंतरराष्ट्रीय बाजार में सबसे अच्छे वैक्सीन माने जा रहे हैं और इनकी एफिकेसी रिपोर्ट 90 प्रतिशत से अधिक है. इन दोनों टीकों को अमेरिका और ब्रिटेन सहित 40 से अधिक देशों द्वारा अनुमति दी गई है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने बुधवार को संकेत दिया कि केंद्र भारत में टीकों के लिए मंजूरी में तेजी लाने के लिए फाइजर और मॉडर्ना को क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर छूट दे सकता है. सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि भारत में फाइजर और मॉडर्ना को क्षतिपूर्ति से छूट देने में ‘कोई समस्या नहीं है.’

नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल के अनुसार, ‘दोनों कंपनियों ने अमेरिका देश सहित सभी देशों से क्षतिपूर्ति से छूट का अनुरोध किया है .हम इसकी जांच कर रहे हैं और लोगों के व्यापक हित के आधार पर निर्णय लेंगे. इस पर चर्चा हो रही है और अभी कोई फैसला नहीं हुआ है.’

भारतीय कंपनियां अब क्षतिपूर्ति क्यों मांग रही हैं?

सीरम इंस्टीट्यूट के अदार पूनावाला ने इस मुद्दे को उठाया है. अन्य भारतीय वैक्सीन निर्माताओं का कहना है कि उन्हें अपने स्टॉक का 75% सरकार (केंद्र को 50% और राज्य सरकारों को 25%) और 25% की आपूर्ति निजी क्षेत्र को करना है तो इसका वैक्सीन की कॉस्ट बड़ा असर पड़ सकता है. अब इस पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या मॉडर्ना, फाइजर और स्पुतनिक वी जैसे विदेशी टीकों की आपूर्ति केंद्र सरकार को भारतीय कंपनियों के समान कीमत पर की जाएगी?

वॉकहार्ट के संस्थापक-अध्यक्ष हाबिल खोराकीवाला का कहना है कि विदेशी वैक्सीन निर्माताओं द्वारा मांगी जा रही ‘क्षतिपूर्ति’ अन्य देशों में एक ‘मानक दृष्टिकोण’ है. ऐसा केवल भारत में नहीं किया जा रहा है. बिजनेसलाइन को दिए एक इंटरव्यू में खोराकीवाला ने कहा कि सिर्फ टीकों के लिए छूट दी जाती है. यह दवा या अन्य बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स पर लागू नहीं होता है. वैक्सीन पर मिली छूट दवा या अन्य बायोलॉजिकलउत्पादों के लिए उदाहरण नहीं बन सकती हैं.

कानून क्या कहता है?

भारत में सरकार ने निर्माताओं के साथ अनुबंध में एक लाइबिलिटी क्लॉज शामिल किया है. कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार टीके के कारण उत्पन्न होने वाले सभी दावों में लोगों को क्षतिपूर्ति करने के लिए मैन्यूफैक्चरर उत्तरदायी होंगे. भारतीय अनुबंध अधिनियम 1872 की धारा 124 क्षतिपूर्ति के अनुबंध को एक अनुबंध के रूप में परिभाषित किया गया है. इसके तहत एक पक्ष दूसरे व्यक्ति को स्वयं गारंटर की कार्रवाई या किसी अन्य व्यक्ति की कार्रवाई से होने वाले नुकसान से बचाने की गारंटी देता है.

मौजूदा स्थिति में क्या-क्या दिक्कतें हैं

लाइबिलिटी क्लॉज के कारण निर्माता ना तो टीकों को मंजूरी दे रहे हैं और ना ही टेस्टिंग कर रहे हैं क्योंकि टीकों से होने वाले किसी भी दुष्प्रभाव के लिए वे जवाबदेह हैं. वे केवल उस टीके के उत्पादन पर काम कर रहे हैं जिसे एफडीए जैसी संस्थाओं से अनुमति मिली हुई है.

दूसरा, जो उत्पाद हाल ही में बने हों और उन्हें लाइसेंस मिला हो, उन पर पूरी लाइबिलिटी डाल देना जटिल है. बार एंड बेंच के अनुसार फार्मास्युटिकल उत्पादों से संबंधित सिद्धांतों के लिए अहम माने जाने वाले TORT के सेकेंड रिस्टेटमेंट में कहा गया है कि- ‘टीका निर्माताओं को उत्तरदायी नहीं ठहराया जाना चाहिए. जब तक इसकी सुरक्षा की गारंटी के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल जाए और वैक्सीन उचित चेतावनियों के साथ ठीक से तैयार ना हो गई हो.’

तीसरा, वैक्सीन निर्माता ऐसे असत्यापित दावों से परेशान होंगे जो वैक्सीनेशन प्रॉसेस में रोड़ा अटका सकते हैं. हाल ही में SII के कोविशील्ड ट्रायल्स के दौरान 5 करोड़ रुपये का कानूनी नोटिस दिया गया था. पीड़िता ने गंभीर न्यूरोलॉजिकल साइड इफेक्ट का आरोप लगाया था. SII ने आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और गलत बताया था.

विकल्प क्या है?

भारत के लिए एक विकल्प राष्ट्रीय क्षतिपूर्ति कोष बनाना हो सकता है. यह उन लोगों के दावों का निराकरण करेगा जिन पर टीकों का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. इसके अलावा अमेरिका की तरह वैक्सीन कोर्ट भी स्थापित किए जा सकते हैं.

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
VIVA99 adalah salah satu deretan daftar situs judi online terpercaya dan paling gacor yang ada di indonesia . VIVA99 situs agen judi online mempunyai banyak game judi slot online dengan jacpot besar, judi bola prediksi parlay, slot88, live casino jackpot terbesar winrate 89% . Mau raih untung dari game judi slot gacor 2022 terbaru? Buruan Daftar di Situs Judi Slot Online Terbaik dan Terpercaya no 1 Indonesia . VIVA99 adalah situs judi slot online dan agen judi online terbaik untuk daftar permainan populer togel online, slot88, slot gacor, judi bola, joker123 jackpot setiap hari