राम अचल राजभर और लालजी वर्मा के निष्कासन से BSP के सामने बड़ा सवाल, कौन संभालेगा पूर्वांचल?
लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने आज पार्टी के दो कद्दावर नेताओं लालजी वर्मा (Lalji Verma) और राम अचल राजभर (Ram Achal Rajbhar) को पार्टी से बाहर निकाल दिया है. लालजी वर्मा और राम अचल राजभर पूर्वांचल में बसपा की रीढ़ माने जाते थे. बताया जाता है कि मायावती इन दोनों नेताओं पर बहुत भरोसा करती थीं, लेकिन पिछले कुछ महीनों से इन दोनों नेताओं का दूसरे दल में शामिल होने की चर्चा थी. उधर बसपा सुप्रीमो के इस कदम को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. इससे संगठनात्मक तौर पर बसपा के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है, अब देखना ये होगा इन नेताओं की कमी संगठन कैसे पूरी करता है?
दरअसल मायावती ने पिछले कुछ सालों में जिस तरह से अपने पार्टी से पूर्वांचल के बड़े नेताओं को बाहर किया है, इसके बाद से ही इन दोनों नेताओं की जिम्मेदारी बढ़ गई थी. माना जा रहा है कि इन दोनों कद्दावर नेताओं के जाने के बाद पूर्वांचल में बसपा का किला ढहता नज़र आ रहा है. ऐसे में यूपी का अंतिम जिला बलिया से विधायक उमाशंकर सिंह पर पूरी जिम्मेदारी आ जाती है. वैसे बसपा सुप्रीमो ने आजमगढ़ के मुबारकपुर से विधायक शाह आलम को विधानमंडल दल का नेता बनाया गया है.
स्वामी प्रसाद मौर्य के जाने के बाद बढ़ा था कद
बता दें ये दोनों नेता पार्टी के बड़े ओबीसी चेहरा थे इसीलिए मायावती ने स्वामी प्रसाद मौर्या के जाने के बाद भरोसा करते हुए दोनों पर बड़ा दांव खेला था. स्वामी प्रसाद मौर्या को प्रदेश अध्यक्ष से हटाकर राम अचल राजभर को प्रदेश अध्यक्ष बनाया. इसका फायदा ये हुआ कि स्वामी प्रसाद मौर्या के पार्टी छोड़ने के बाद भी पूर्वांचल में ओबीसी को संभाल कर रखा.इसके पहले पूर्वांचल में बीएसपी के बड़े दलित नेता त्रिभुवन दत्त और राम प्रसाद चौधरी ने भी पार्टी का साथ छोड़ समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था. जिसका असर पंचायत चुनाव में दिखा. इनकी अम्बेडकर नगर के आस-पास के क्षेत्रों में दलित वोट बैंक में काफी पकड़ है, जिसकी वजह से इस इलाके में पंचायत चुनाव में बीएसपी को भारी नुकसान उठाना पड़ा. कहा जा रहा है कि इन दोनों नेताओं के जाने का बाद पूर्वांचल में बीएसपी बेहद कमजोर हो जाएगी.
अब तक बसपा से निकाले गए ये नेता
इससे पहले पार्टी ने राजबहादुर, आरके चौधरी, शाकिर अली, जंगबहादुर पटेल, बरखू राम वर्मा, सोने लाल पटेल, रामलखन वर्मा, भगवत पाल, राजाराम पाल, राम खेलावन पासी, कालीचरण सोनकर, इंद्रजीत सरोज, स्वामी प्रसाद मौर्य, बाबू सिंह कुशवाहा, बृजेश पाठक और नसीमुद्दीन सिद्दीकी को भी बाहर का रास्ता दिखाया है.
सूत्रों की मानें तो पिछले कई दिनों से बसपा के इन दोनों नेताओं की मुलाकात सपा के नेताओं से हो रही थी. दोनों सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात की कोशिश में भी थे. बताया जाता है कि इन दोनों नेताओं ने पंचायत चुनाव के दौरान अपनी पार्टी के उम्मीदवारों की जगह दूसरी पार्टी को समर्थन दिया था. इस वजह से पार्टी में लालजी वर्मा और राम अचल राजभर को लेकर काफी नाराजगी थी.
मायावती के करीबी माने जाते हैं लालजी वर्मा
लालजी वर्मा को मायावती का करीबी माना जाता है. उनकी पत्नी भी राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय रह चुकी हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के अवधेश कुमार को हराया था. राम अचल राजभर ने अपने राजनैतिक सफर की शुरुआत बसपा से की थी. 2007 में बसपा की सरकार बनने के बाद उन्हें परिवहन मंत्री बनाया गया था.