कौन हैं नफ्ताली बेनेट, जो अब होंगे नेतन्याहू के बाद इजरायल के अगले प्रधानमंत्री
पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से इजरायल की कुर्सी पर मजबूती से जमे प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की कुर्सी अब संकट में दिख रही है. विपक्षी दल मिलकर मिल चुके हैं और अटकलें लग रही हैं कि जल्द ही इजरायल में सत्तापलट हो सकता है. संभावित प्रधानमंत्री के तौर पर नफ्ताली बेनेट (Naftali Bennett) आ सकते हैं. बता दें कि पहले बेनेट नेतन्याहू के साथ थे लेकिन बाद में मुखर विरोधी हो गए.
ये हो सकते हैं नए प्रधानमंत्री
अमेरिकन अप्रवासी शख्स की संतान बेनेट लगभग 50 साल के हैं और नेतन्याहू की तुलना मेंं काफी युवा और ऊर्जावान हैं. वैसे बेनेट का जन्म इजरायल के ही हायफा शहर में हुआ था और वे धार्मिक तौर पर यहूदी हैं. तेलअवीव में रहने वाले ये शख्स मौजूदा पीएम के साथ रहते हुए सरकार में वित्त-मंत्रालय और शिक्षा जैसे अहम विभाग देख चुके हैं. साथ वे इजराइली सेना में कमांडो रह चुके हैं.
नफ्ताली बेनेट निजी जिंदगी में पूरी तरह से यहूदी मान्यता रखते हैं
यहूदी तौर-तरीकों का पालन करते हैं बेनेट
निजी जिंदगी में बेनेट पूरी तरह से यहूदी मान्यता रखते हैं. यहां तक कि वे अपने सिर पर एक तरह की धार्मिक टोपी पहनते हैं, जो कट्टर यहूदी सोच वाले लोग पहनते हैं. यानी बेनेट अपनी धार्मिक सोच को राजनीति में आकर छिपाएंगे, ऐसा नहीं सोचा जा सकता.
फिलिस्तीन को लेकर वे भी हैं सख्त
वैसे नफ्ताली बेनेट को हार्डलाइनर राष्ट्रवादी नेता माना जाता है. यानी ये भी हो सकता है कि बेनेट के सत्ता में आने के बाद हमास के आतंकियों की मुश्किल कम होने की बजाए बढ़ ही जाए. वे हमेशा ही इजरायल को आगे ले जाने की बात करते हैं और कई बार ये इशारा दे चुके हैं कि फिलिस्तानी स्टेट का बनने इजरायल के लिए कितना खतरनाक हो सकता है.
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आंतरिक राजनीति में उथल-पुथल
इसी रविवार को बेनेट ने कहा कि वे देश को मुश्किल से बचाने के लिए सत्ता में आने जा रहे हैं. बता दें कि फिलहाल नेतन्याहू की लिकुड पार्टी इजरायल की सबसे बड़ी पार्टी है, हालांकि इस पार्टी को मेजोरिटी नहीं मिली. इसके बाद इजरायली राष्ट्रपति ने दूसरी सबसे बड़ी पार्टी येश अतिद के नेता यैर लैपिड को सरकार बनाने के लिए बुलावा दिया था.
फिलिस्तीन और पड़ोसी मुस्लिम मुल्कों के साथ इजरायल का रवैय सख्त ही रहा- सांकेतिक फोटो
बन सकती है गठबंधन सरकार
हमास और इजरायल में एकाएक भिड़ंत के बीच सरकार नहीं बन सकी. अब सीजफायर के दौरान एक बार फिर से ये अटकलें तेज हैं कि नई सरकार बन सकती है. ये सरकार मिली-जुली हो सकती है, जिसमें येश अतिद पार्टी के साथ मिलकर बेनेट की पार्टी यमीना गठबंधन में काम करेगी. इस दौरान दोनों पार्टियों के नेता कार्यकाल का भी बंटवारा कर सकते हैं.
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क्या फिलिस्तानी को लेकर आएगी नरमी?
इजरायल में दूसरी बड़ी पार्टी येश अतिद का झुकाव लेफ्ट की ओर ज्यादा है. ऐसे में ये अनुमान भी हैं कि इजरायल फिलिस्तीन को लेकर नर्म रवैया अपना लेगा. हालांकि धुर दक्षिणपंथी नेता और संभावित पीएम बेनेट के होने पर ऐसा शायद ही हो सके. वे फिलिस्तीन और पड़ोसी मुस्लिम मुल्कों के साथ सख्त ही रहे हैं.
बेनेट का इतिहास काफी विवादास्पद
साल 1996 में उन्होंने हिजबुल्लाह के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को लीड किया. बाद में इजरायली प्रेस Yedioth Ahronoth ने उनपर आरोप लगाया कि कार्रवाई में 106 लेबनानी नागरिक भी मारे गए थे. मारे गए लोगों में यूएन के भी 4 शख्स थे.
इजरायल की कुर्सी पर मजबूती से जमे प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की कुर्सी संकट में है (Photo- news18 English via Reuter)
तकनीक से आए राजनीति में
सेना छोड़ने के बाद बेनेट एकदम से तकनीक में कूद गए. उन्होंने तेल अवीव में एक टेक कंपनी शुरू की, जिसे कुछ ही समय बाद 145 मिलियन डॉलर में बेच दिया. कंपनी की बिक्री के बाद बेनेट राजनीति में आ गए. तब नेतन्याहू विपक्षी पार्टी में थे, बेनेट उन्हीं से जा मिले और कामकाज करने लगे. पांच सालों बाद बेनेट ने नेतन्याहू को भी छोड़ दिया और येशा काउंसिल चलाने लगे जो वेस्ट बैंक में यहूदियों के हित में काम करती थी.
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सीधी बात करने के लिए लोकप्रिय
दक्षिणपंथी विचारों के नेता बेनेट पॉश अमेरिकन लहजे में अंग्रेजी बोलते हैं और अपनी बात अक्सर बिना लागलपेट रखते हैं. साल 2013 में उन्होंने फिलीस्तीन के साथ किसी भी तरह के नर्म रवैये का विरोध करते हुए कहा था कि आतंकियों को मार दिया जाना चाहिए, न कि छोड़ा जाना चाहिए. यानी इस मामले में देखा जाए तो मौजूदा पीएम और संभावित पीएम बेनेट एक-सी विचारधारा रखते हैं.